For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जय-जय कन्हैया लाल की.. (नवगीत) //--सौरभ

लिख रही हैं यातनायें
अनुभवों से
लघुकथायें -
मौसम-घड़ी-दिक्काल की !
जय-जय कन्हैया लाल की !!

शासकों के चोंचले हैं   
लोग गोवर्द्धन उठायें
हम लुकाठी
ले खड़े हैं
चोंच में आकाश पायें

शातिर सदा पद
इन्द्र का
जो सोचता बस चाल की..
जय-जय कन्हैया लाल की !!

अब उफनती
है न जमुना
कालिया मथता अड़ा है
चेतना लुंठित-बलत्कृत
देह-मन
लथपथ पड़ा है  

कुब्जा पड़ी हर घाट पर
किसको पड़ी है
ताल की !
जय-जय कन्हैया लाल की !!

नत कमर ले
शांत रहना
पीढ़ियों का सच यही है
कंस फिर पंचायतों में
भाग्य का षडयंत्र भी है.  

फिर से जरासंधी-मिलन,
चर्चा हुई है जाल की   
जय-जय कन्हैया लाल की !!

क्या गजब हो इस घड़ी

जो साध ले जग
वो हृदय हो
किन्तु यह भी है असंभव  
घात-प्रतिघाती सदय हो

जब पूतना की गोद है,
फिर क्या कहें ग्रहचाल की !
जय-जय कन्हैया लाल की !!
**********
-सौरभ

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 997

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 19, 2014 at 8:01pm

आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद जी, आपने एक पाठक के तौर पर इस नवगीत के मर्म को छूआ है. आपकी बातें अक्षरशः सही हैं.
सादर धन्यवाद

Comment by विजय मिश्र on August 19, 2014 at 3:39pm
जय जय कन्हैयालाल की , सौरभजी ,

"क्या गजब हो इस घड़ी
जो साध ले जग
वो हृदय हो
किन्तु यह भी है असंभव
घात-प्रतिघाती सदय हो |" ---बहुत उत्कट भाव |
- कृष्णाष्टमी की अनन्य शुभकामनाएँ |
Comment by kalpna mishra bajpai on August 18, 2014 at 8:49pm

नत कमर ले 
शांत रहना 
पीढ़ियों का सच यही है 
कंस फिर पंचायतों में 
भाग्य का षडयंत्र भी है.  ...................... सुंदरम ........ आप को बहुत बधाई 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 18, 2014 at 8:22pm

द्वापर युग की तुलना आज से वह भी बिलकुल सहज आज के हालात से मेल खाती हुई। आपका अभिनंदन सर!

Comment by Shyam Narain Verma on August 18, 2014 at 12:09pm
" सुंदर रचना के लिए बहुत बधाई सादर............. "
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 17, 2014 at 9:13pm

आदरणीय

नव गीत में

है प्रतीक मिथ के

है विसंगति और पीड़ा

याद हरि  गोपाल की

जय कन्हैया लाल की     i       सादर i

Comment by Satyanarayan Singh on August 17, 2014 at 6:08pm

नत कमर ले 
शांत रहना 
पीढ़ियों का सच यही है 
कंस फिर पंचायतों में 
भाग्य का षडयंत्र भी है.  

फिर से जरासंधी-मिलन, 
चर्चा हुई है जाल की   
जय-जय कन्हैया लाल की !!

    द्वापर एवं  वर्तमान  की परिस्थितियों में आज भी कितना साम्य है केवल पात्र  बदल गए हैं बस!  द्वापर काल की कुछ घटनाओं को बिम्बित करते इस  सुन्दर  नवगीत  हेतु हार्दिक बधाई एवं जन्माष्टमी की शुभ कामनाएं परम आदरणीय 

सादर 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 17, 2014 at 5:45pm

जन्माष्टमी पर्व पर ऐतिहासिक द्वापर की घटनाओं को इंगित करते हुए वर्तमान हालात पर नवगीत रचना के माध्यम से 

चिंतन हुआ है | उस समय तो अधर्म बढ़ने पर महाभारत हो गया पुनः धर्म की स्थापना हो गयी | पर आज जरासंधी मिलन 

के जाल को काटने और कुब्जा को राहत प्रदान करने हेतु पुनः ऐसे ही महापुरुष का अभी तक इन्तजार ही है |

बहुत सुदर रचना के लिए बहुत बहुत बधाई आदरणीय |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 17, 2014 at 3:19pm

आदरणीय गिरिराजभाईजी, पौराणिक कथाओं का बिम्बात्मक प्रयोग होता रहा है. आपको यह नवगीत रुचिकर लगा यह जानना मुझे भी संतोष दे रहा है.
आपका सादर धन्यवाद


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 17, 2014 at 3:12pm

भाई रामशिरोमणीजी, आपकी रचनाधर्मिता से हम अवगत हैं.

आपने इस नवगीत के मर्म को मान दिया है, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
4 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
7 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service