बंसी का बजाना खेल भी है
गिरिवर का उठाना खेल नहीं
भक्तों के भारी संकट में
दुख दर्द मिटाना खेल नहीं है !!
एक विप्र सुदामा आया था
वो भेंट में तंदुल लाया था
पल भर में ही दीन दुखी को
धनवान बनाना खेल नहीं !!
कौरव दल द्रुपद दुलारी की
सुन कर पुकार दुखियारी की
दो गज की सारी में देखो
अंबार लगाना खेल नहीं !!
था कंस बड़ा अत्याचारी
देता था सबको दुख भारी
उसको जा मारा मथुरा में
दुष्टों को घटाना खेल नहीं !!
बंसी का बजाना खेल भी है
गिरिवर का उठाना खेल नहीं
कल्पना मिश्रा बाजपेई
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
आदरणीया कल्पना जी ,
भक्तिभाव में नवीन संवेदना के पुट से रचना आकर्षक लगी, हार्दिक साधुवाद एवं सद्भावनाएँ ! --
"कौरव दल द्रुपद दुलारी की
सुन कर पुकार दुखियारी की
दो गज की सारी में देखो
अंबार लगाना खेल नहीं !!"
पिछले दिनों नेट उपलब्ध न होने के कारण पढ़ नहीं पाई थी ,सबसे पहले आपको श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की बधाई दूसरे इस उपलक्ष में इतनी सुन्दर प्यारी रचना के लिए बधाई प्रिय कल्पना जी.
आदरणीया कल्पना जी , समय के अनुरूप भगवान श्री कृष्ण पर बहुत अच्छा गीत लिखा है आपने , बधाइयां !
श्री कृष्ण जन्माष्टमी के पावन अवसर पर बहुत ही सुंदर रचना प्रस्तुती. बधाई आपको आदरणीया कल्पना दीदी
श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर कृष्णा को मनाना खेल नहीं हार्दिक शुभकामनायें और बधाई आदरणीया!
आ० annapurna bajpai मैडम हार्दिक आभार /सादर
आ० Meena Pathak मैडम हार्दिक आभार /सादर
आ० Laxman Prasad Ladiwala सर हार्दिक आभार /सादर
आ०laxman dhami सर हार्दिक आभार /सादर
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