For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गली में खेलती वो लड़की

गली में खेलती वो लड़की
================
गली में खेलती वो लड़की
कई आँखों के केंद्र में है |
कुछ आँखों के लिए वो सरसरी भर है
कुछ दूरबीन लगाए बैठी हैं
देखती रहती हैं 
उसकी हर छोटी-बड़ी चपलता 
कुछ आँखों के लिए वो किरकिरी है
लगातार बदलती हवा का

दुष्परिणाम 
इतनी बड़ी लड़की का गली में खेलना..
मतलब, उसे गलत दिशा में धकेलना है !
अच्छा नहीं होता 
लड़कियों को इतनी छूट का मिलना 
इसीकारण, उसकी माँ उसे देती रहती है नसीहतों के घूँट |
कुछ आँखे चिंतातुर हैं 
इन स्थितियों के विरुद्ध  
रोकना नहीं चाहतीं 
हंसती-खेलती लड़की को
वो प्रहरी की तरह आगे-पीछे रहना चाहती हैं |
आखिर कितनी लड़कियाँ गली में खेल पाती हैं ?

.

सोमेश कुमार (मौलिक एवं अप्रकाशित )

Views: 496

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 31, 2014 at 4:49pm

इस रचना के लिए हार्दिक बढ़ाई स्वीकार करें ...सोचने को विवश करती शानदार रचना  सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 30, 2014 at 11:39pm

इस रचना के आलोक में प्रयासरत रहें.. उम्दा कहन.. उम्दा संप्रेषण..

शुभ-शुभ

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on October 30, 2014 at 2:55pm

विषय का चयन अच्छा है i  प्रयास अच्छा  है और अच्छा है सन्देश i

Comment by umesh katara on October 30, 2014 at 9:34am

उत्तम रचना के लिये तहेदिल से शुक्रिया राजेश जी आपको

Comment by vijay nikore on October 29, 2014 at 3:48pm

इस अच्छी रचना के लिए बधाई।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on October 29, 2014 at 11:55am

बहुत अच्छा विषय चयन ...विचारणीय है  ...तथा इस पर आपका प्रयास भी सराहनीय  है बहुत- बहुत बधाई आपको सोमेश जी  

Comment by vandana on October 29, 2014 at 4:45am

वाह !!! बहुत सुन्दर रचना  आदरणीय बहुत २ बधाई 

Comment by somesh kumar on October 27, 2014 at 10:19pm

रचना पढ़ने -पसंद करने के लिए साधुवाद ,विषय -चयन अवश्य मेरा है पर रचना को कविता बनाने के लिए आदरणीय सौरभ पांडे जी के मार्गदर्शन का विशेष योगदान हैं |इसलिए बधाई और साधुवाद उनके चरणों में |

Comment by Shyam Narain Verma on October 27, 2014 at 3:38pm

" अच्छी प्रस्तुति आदरणीय ,बधाई ................. "

Comment by Dr.sandhya tiwari on October 27, 2014 at 12:58pm
Nitant bhavparak rachana ke liye sadhuwad

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
6 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
16 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
23 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
23 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय सुधार कर दिया गया है "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत भावपूर्ण कविता हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service