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अच्छा प्रयास है i बधाई i
आ. रमेश भाई ,बहुत सुन्दर आल्हा छ्न्द की रचना की है , दिली बधाई स्वीकार करें ।
आदरणीय सोमेशजी, खुर्शिदजी, लड़ीवालाजी आपलोगों ने रचना को समय दिया, सराहा, रचनाकर्म सार्थक हुआ आप सभी का हार्दिक आभार
परम आदरणीय योगराजजी, आदरणीया राजेशदी आप द्वयके मार्गदर्शन से मेरे रचनाओं निश्चित रूप से सुधार हो रहा है, आपके मार्गदर्शन और सुधार हेतु प्रेरित करता रहा है, इस पर मैं प्रयास भी करता रहा हू, पुनः प्रयास की इच्छा से आप द्वय का सादर आभार
राजनैतिक हालात का सुंदर चित्रण करती आल्हा छंद रचना के लिए बधाई श्री रमेश कुमार चौहान जी -
काम चाहिये हर हाथों में, अपनी एक नई पहचान ।
हाथ कटोरा देते क्यों हो, हमें चाहिये निज सम्मान ।।
जात पात में बाट बाट कर, खेलो मत शकुनी का खेल ।
हम सब पहले भारत वंशी, हर मजहब में रखते मेल ।---- सार्थक भाव |
आल्हा के भाव बहुत सुन्दर हैं भाई रमेश चौहान जी, जिस हेतु बधाई प्रेषित है। रचना की पहली पंक्ति देखें :
//नेताजी की महिमा गाथा, लोग भजन जैसे हैं गाय ।//
"हैं" (बहुवचन) के साथ "गाय" (एकवचन) का उपयोग गलत हो गया है, ज़रा ध्यान दें.
काम चाहिये हर हाथों में, अपनी एक नई पहचान ।
हाथ कटोरा देते क्यों हो, हमें चाहिये निज सम्मान ।।
आदरणीय रमेश कुमार सा. अच्छे भाव ,करारा व्यंग्य है |सादर बधाई
आज की परिस्तिथियों को सम्बोधित करते हुए,राजनीति पर यथार्थपूर्ण आल्हा ,बधाई आप को
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