रहे अब लाख पेचीदा सफ़र तै कर लिया है
न छोडूंगा मुहब्बत की डगर तै कर लिया है
ज़माना भी खड़ा है हाथ में शमशीरें लेकर
मैंने भी सरफरोशी का इधर तै कर लिया है
गुज़ारिश है रुको कुछ देर तन्हाई मिटादो
चले जाओ कि जाने का अगर तै कर लिया है
उदासी की फटी चिलमन हटाकर फैंक दूंगा
जिऊँगा अब तबस्सुम ओढ़कर तै कर लिया है
हवाओं सब चरागों को बुझादो ग़म नहीं कुछ
अँधेरे में जलाऊंगा जिगर तै कर लिया है
खड़ा बाज़ार में तन्हा कबीरा एक युग से
अदीबों फूंक दूंगा आज घर तै कर लिया है
हक़ीक़त के बियाबाँ में न भटकूंगा अकेला
बसाऊंगा तसव्वुर का नगर तै कर लिया है
मुखालिफ़ मैं रहूँगा ज़ुल्म का हरदम अज़ीज़ों
हरावल में रहूँगा पेशतर तै कर लिया है
करूँगा रोशनी ‘खुरशीद’ बनकर शाम तक तो
जलूँगा शमा’ बनकर रात भर तै कर लिया है
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय अजय शरमा साहब ,गणेश जी बागी साहब ,जितेंदर जी ,गोपालनारायण साहब लडीवाला जी ,उमेश जी ,विजयशंकर साहब ,एवं आदरणीय योगराज जी आप सभी गुणीजनों का ह्रदय से आभारी हूं |आप सभी का स्नेह अनमोल है |आशीर्वाद बनाये रखियेगा |सादर
//मैंने भी सरफरोशी का इधर तै कर लिया है//
यह मिसरा मुझे उलझता महसूस हो रहा है।
बाकी सभी अशआर खूबसूरत लगें, बधाई इस ग़ज़ल की प्रस्तुति पर।
बेहतरीन गजल, आदरणीय खुर्शीद साहब
गुज़ारिश है रुको कुछ देर तन्हाई मिटादो
चले जाओ कि जाने का अगर तै कर लिया है.....इस शेर पर आपको विशेष बधाई
वह ----- वह ------वाह
जवाब नहीं i क्या खूबसूरत गजल है i किस शेर की तारीफ करू i सभी सवा शेर है i बधाई हो i
रहे अब लाख पेचीदा सफ़र तै कर लिया है
न छोडूंगा मुहब्बत की डगर तै कर लिया है - वाह ! बहुत खूब होंसला और जज्बा कमाल का | तै कर लिया है का सुंदर निर्वाह हुआ है हर एक अश;आर में | हार्दिक बधाई आ, खुर्शीद खैराडी जी
हरिक शेर लाजबाब है बधाई सर
वाहहहहहहहहहहह
हवाओं सब चरागों को बुझादो ग़म नहीं कुछ
अँधेरे में जलाऊंगा जिगर तै कर लिया है
दम है ग़ज़ल में, आकर्षण भी , आदरणीय खुर्शीद खैरादी जी बधाई।
बहुत आला कलम आ० खुर्शीद खैराड़ी साहिब, बहुत अलग सी रदीफ़ चुनी लेकिन उसको बड़ी उम्दगी से निभाया भी। हार्दिक बधाई स्वीकार करें।
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