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लघुकथा : श्रेष्ठ कौन ? (गणेश जी बागी)

                     पीतल और ऐलुमिनियम के बर्तनों में वर्चस्व की लड़ाई होने लगी, आखिर तय हुआ कि चाँदी महाराज से निर्णय करवाया जाये कि कौन श्रेष्ठ है । पीतल ने कहा कि उसके बर्तनों में देवों को भोग लगाया जाता है, कुलीनजनों के पास उसका स्थान है जबकि ऐलुमिनियम के बर्तनों में झुग्गी-झोपड़ी के लोग खाते हैं और तो और इसका कटोरा भिखमंगे लेकर घूमते रहते हैं । 
                    ऐलुमिनियम अपने पक्ष में कोई विशेष दलील नहीं दे सका I चाँदी महाराज ने अपने निर्णय में कहा कि पीतल भरे हुए को भरता है जबकि ऐलुमिनियम भूखे को खिलाता है, अत: भूखे को खिलाने वाला हीसदैव श्रेष्ठ होता है ।  
                    यह निर्णय सुनकर एक कोने में पड़ी 'पत्तल' मुस्कुरा उठी ।

(मौलिक व अप्रकाशित)

पिछला पोस्ट => लघुकथा : दृष्टिकोण

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Comment by Dr. Vijai Shanker on November 10, 2014 at 9:25pm

श्रेष्ठता के मानक यदि इसी प्रकार निर्धारित किये जाएँ तो दुनिया की कितनी ही समस्याएं उदित ही न हो। पर हम तो बस यूँ ही चमक दमक में ही उलझे रहते हैं. कुँवर बेचैन की एक पंक्ति याद आ रही है :
यूँ तो हमको घोड़े के पैतालीस मतलब आते हैं
पर हम जब भी घोड़ा खरीदने जाते हैं,
गधा खरीद लाते हैं.
वैसे यह भी सही है कि हमने अभी मानक निर्धारित किये ही नहीं हैं। जब जैसा चाहा कर लिया , उसमें जो सुख है वह मानकीकरण में कहाँ है।
बहुत बहुत बधाई आदरणीय गणेश जी बागी जी इस चेतना जगाने वाली कथा के लिए।


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 10, 2014 at 9:22pm

आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी, उत्साहवर्धन करती टिप्पणी हेतु हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ। 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 10, 2014 at 9:18pm

आभार बैद्यनाथ सारथि जी। 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 10, 2014 at 9:18pm

सराहना हेतु आभार आदरणीय सोमेश कुमार जी। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 10, 2014 at 8:51pm

अंतिम पंक्ति पाठक के चेहरे पर भी मुस्कान लाने में सक्षम है जो इस लघु कथा का  सार है पत्तल का बिम्ब बहुत ऊँचाई पर ले गया इस लघु कथा को आ० योगराज जी की बात का पूर्णतः समर्थन करती हूँ हार्दिक बधाई आपको आ० गणेश बागी जी इस श्रेष्ठ लघु कथा हेतु |

Comment by Sushil Sarna on November 10, 2014 at 8:15pm

वाह आदरणीय  Er. Ganesh Jee "Bagi"    जी लघु कथा अपने उद्देश्य में पूर्ण सफल है।  कथा का चरम पाठक को एक सोच और संतोष प्रदान करता है। हार्दिक बधाई सर। 

Comment by Hari Prakash Dubey on November 10, 2014 at 8:04pm

'पत्तल' मुस्कुरा उठी' इसी बात मैं कई रहस्य छुपे हुये है , सुन्दर रचना आपको हार्दिक बधाई ।

Comment by Saarthi Baidyanath on November 10, 2014 at 7:52pm

अति सुंदर 

Comment by somesh kumar on November 10, 2014 at 7:43pm

sunder ,aur dil ko chune vali spsth sndeshpurn rchna


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 10, 2014 at 5:11pm

लघुकथा सम्राट द्वारा लघुकथा पर प्राप्त इस टिप्पणी पर किसे गर्व नहीं होगा, आपका आशीर्वाद स्वरुप टिप्पणी इस लघुकथा पर प्राप्त हुई, लेखन कर्म सार्थक प्रतीत होने लगा, बहुत बहुत आभार आदरणीय योगराज प्रभाकर जी ।

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