For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"अरे वो पेड़ कहा गया , गिर गया क्या ?"

"नहीं चाची , ठूँठ था तो काट दिया लोगों ने "|
बेऔलाद चाची को कुछ चुभा और वो तेजी से आगे बढ़ गयीं |

.

( मौलिक एवम अप्रकाशित )

Views: 630

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 21, 2017 at 10:01pm

बहुत बढ़िया आदरणीय विनय सर , बढ़िया कथा हुई है जिसके लिए बधाई आपको |

Comment by विनय कुमार on November 19, 2014 at 1:14pm

आभार विनोद जी..

Comment by विनोद खनगवाल on November 17, 2014 at 5:01pm

bahut badiya ji

Comment by विनय कुमार on November 12, 2014 at 3:47pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण लडीवाला जी , सीख रहा हूँ आप गुणी जनो से लघुकथा की बारीकियां..

Comment by विनय कुमार on November 12, 2014 at 3:45pm

अब आदरणीय योगराज जी का स्नेह भी मिल गया , रचना सार्थक हुई | बहुत बहुत आभार सर ..

Comment by विनय कुमार on November 12, 2014 at 3:44pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय राजेश कुमारी जी..

Comment by विनय कुमार on November 12, 2014 at 3:44pm

बहुत बहुत आभार सोमेश जी..

Comment by विनय कुमार on November 12, 2014 at 3:44pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय गणेश जी , आप की प्रतिक्रिया पाकर प्रसन्नता हुई..

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 12, 2014 at 12:02pm

अब इससे और छोटी लघु कथा क्या होगी जिस गागर में सागर समा जाय | कमाल है साहब | अतिशय बधाई श्री विजानी कुमार जी 


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on November 12, 2014 at 11:35am

अगर यह लघुकथा कोई अनाड़ी लिखता तो शायद हनुमान की पूंछ की जितनी लम्बी कर देता, मगर आपने ३ पंक्तियों में पूरा उपन्यास कह डाला भाई विनय कुमार जी, योगी बाबा खुश हुआ - जीते रहिये।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service