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पापा पापा बतलाओ ना , अच्छे दिन कैसे होते हैं

क्या होते हैं चाँद सरीखे, या तारों जैसे होते हैं.

 

बेटा ! दिन तो दिन होते हैं ,गिनती के पल-छिन होते हैं

अच्छे बीतें तो सुखमय हैं, वरना ये दुर्दिन होते हैं.

 

पापा पापा बतलाओ ना , अच्छे दिन कैसे होते हैं

क्या होते हैं दूध-मलाई , या माखन जैसे होते हैं.

 

बरसों से मैं सुनते आया, स्वप्न सजीले बुनते आया

लेकिन देखे नहीं आज तक, अच्छे दिन कैसे होते हैं

 

पापा पापा बतलाओ ना , अच्छे दिन कैसे होते हैं

क्या होते हैं गुड़ियों जैसे , या परियों जैसे होते हैं.

 

गलियारों में रहा छानता , चौबारों में खोज चुका हूँ

अखबारों में ढूँढ रहा हूँ , अच्छे दिन कैसे होते हैं

 

पापा पापा बतलाओ ना , अच्छे दिन कैसे होते हैं

क्या होते हैं बरफी जैसे, या मिसरी जैसे होते हैं.

 

मेरे दादा बतलाते थे , उनको पुरखों ने बतलाया

बेटे अच्छे दिन तो बिल्कुल, रामराज जैसे होते हैं.

 

पापा पापा बतलाओ ना, रामराज कैसे आएगा

बेटा ! उस दिन ही आएगा, जब हर रावण मर जाएगा .

 

 

[मौलिक व अप्रकाशित]

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Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 26, 2014 at 12:19pm

आदरणीय अरुण जी ..ये रचना तो बिलकुल दिल को भा गयी ...जी भर गुनगुनाया , जितनी तारीफ की जाए कम .अनूठी और अद्भुत बल सुलभ सौन्दर्य लिए इस रचना के लिए तहे दिल बधाई सादर 

Comment by Hari Prakash Dubey on November 26, 2014 at 2:55am

 दिन तो दिन होते हैं ,गिनती के पल-छिन होते हैं...सुन्दर कहा आपने अरुण जी ,बधाई !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 25, 2014 at 9:29pm

बहुत प्यारी  बालसुलभ रचना ..बहुत सन्देश परक इसको पढ़कर बचपन की एक कविता याद आई कुछ यूँ थी .....मम्मी ट्रेन आएगी कब ,बेटी सिग्नल डाउन होगा जब ,मम्मी सिग्नल डाउन होगा कब ,बेटी चार बजेंगे तब ...इसी तरह आगे बढ़ती रहती है कविता.

बहुत बढ़िया प्रस्तुति ,हार्दिक बधाई आपको अरुण निगम जी  

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 25, 2014 at 11:57am

जहां एक ओर बच्चों के मन भावन रचना हुई है, वही सुंदर सन्देश  देती सार्थक रचना - अच्छे दिन आने वाले है ! 

हार्दिक बधाई भाई  श्री  अरुण कुमार निगम जी 

Comment by vijay nikore on November 25, 2014 at 10:40am

कविता के माध्यम सुन्दर संदेश दिया है। बधाई।

Comment by shree suneel on November 24, 2014 at 12:37pm
...Aur har koi jab Ram ban jayega!!

wah! khoob!! barhiya rachna..
Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on November 24, 2014 at 11:56am

आदरणीय अरुण भाईजी , 

जब हर रावण मर जाएगा,

तो भारत खाली हो जाएगा।

अच्छे दिन तो आ जायेंगे,

पर बच्चे ही रह जायेंगे ॥ 

हार्दिक बधाई उस अच्छे दिन के इंतजार में इस अच्छे दिन के लिए 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 24, 2014 at 10:56am

अरुण जी

बालकोपयोगी सुन्दर कविता i  सभी रावण न कभी मरेंगे न अच्छे दिन आयेंगे i

Comment by ram shiromani pathak on November 24, 2014 at 10:28am
बहुत ही सार्थक व् सन्देशप्रद।।बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय
Comment by somesh kumar on November 24, 2014 at 9:16am

अच्छे दिन एक आस है ,विश्वास है ,प्रयास है फिर भी इसमें निराशा और उपहास है ,अच्छे दिन पर एक सार्थक-प्रतिक्रिया इस रचना के माध्यम से दी आपने ,

कृपया ध्यान दे...

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