पापा पापा बतलाओ ना , अच्छे दिन कैसे होते हैं
क्या होते हैं चाँद सरीखे, या तारों जैसे होते हैं.
बेटा ! दिन तो दिन होते हैं ,गिनती के पल-छिन होते हैं
अच्छे बीतें तो सुखमय हैं, वरना ये दुर्दिन होते हैं.
पापा पापा बतलाओ ना , अच्छे दिन कैसे होते हैं
क्या होते हैं दूध-मलाई , या माखन जैसे होते हैं.
बरसों से मैं सुनते आया, स्वप्न सजीले बुनते आया
लेकिन देखे नहीं आज तक, अच्छे दिन कैसे होते हैं
पापा पापा बतलाओ ना , अच्छे दिन कैसे होते हैं
क्या होते हैं गुड़ियों जैसे , या परियों जैसे होते हैं.
गलियारों में रहा छानता , चौबारों में खोज चुका हूँ
अखबारों में ढूँढ रहा हूँ , अच्छे दिन कैसे होते हैं
पापा पापा बतलाओ ना , अच्छे दिन कैसे होते हैं
क्या होते हैं बरफी जैसे, या मिसरी जैसे होते हैं.
मेरे दादा बतलाते थे , उनको पुरखों ने बतलाया
बेटे अच्छे दिन तो बिल्कुल, रामराज जैसे होते हैं.
पापा पापा बतलाओ ना, रामराज कैसे आएगा
बेटा ! उस दिन ही आएगा, जब हर रावण मर जाएगा .
[मौलिक व अप्रकाशित]
Comment
आदरणीय अरुण जी ..ये रचना तो बिलकुल दिल को भा गयी ...जी भर गुनगुनाया , जितनी तारीफ की जाए कम .अनूठी और अद्भुत बल सुलभ सौन्दर्य लिए इस रचना के लिए तहे दिल बधाई सादर
दिन तो दिन होते हैं ,गिनती के पल-छिन होते हैं...सुन्दर कहा आपने अरुण जी ,बधाई !
बहुत प्यारी बालसुलभ रचना ..बहुत सन्देश परक इसको पढ़कर बचपन की एक कविता याद आई कुछ यूँ थी .....मम्मी ट्रेन आएगी कब ,बेटी सिग्नल डाउन होगा जब ,मम्मी सिग्नल डाउन होगा कब ,बेटी चार बजेंगे तब ...इसी तरह आगे बढ़ती रहती है कविता.
बहुत बढ़िया प्रस्तुति ,हार्दिक बधाई आपको अरुण निगम जी
जहां एक ओर बच्चों के मन भावन रचना हुई है, वही सुंदर सन्देश देती सार्थक रचना - अच्छे दिन आने वाले है !
हार्दिक बधाई भाई श्री अरुण कुमार निगम जी
कविता के माध्यम सुन्दर संदेश दिया है। बधाई।
आदरणीय अरुण भाईजी ,
जब हर रावण मर जाएगा,
तो भारत खाली हो जाएगा।
अच्छे दिन तो आ जायेंगे,
पर बच्चे ही रह जायेंगे ॥
हार्दिक बधाई उस अच्छे दिन के इंतजार में इस अच्छे दिन के लिए
अरुण जी
बालकोपयोगी सुन्दर कविता i सभी रावण न कभी मरेंगे न अच्छे दिन आयेंगे i
अच्छे दिन एक आस है ,विश्वास है ,प्रयास है फिर भी इसमें निराशा और उपहास है ,अच्छे दिन पर एक सार्थक-प्रतिक्रिया इस रचना के माध्यम से दी आपने ,
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