For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पापा पापा बतलाओ ना , अच्छे दिन कैसे होते हैं

क्या होते हैं चाँद सरीखे, या तारों जैसे होते हैं.

 

बेटा ! दिन तो दिन होते हैं ,गिनती के पल-छिन होते हैं

अच्छे बीतें तो सुखमय हैं, वरना ये दुर्दिन होते हैं.

 

पापा पापा बतलाओ ना , अच्छे दिन कैसे होते हैं

क्या होते हैं दूध-मलाई , या माखन जैसे होते हैं.

 

बरसों से मैं सुनते आया, स्वप्न सजीले बुनते आया

लेकिन देखे नहीं आज तक, अच्छे दिन कैसे होते हैं

 

पापा पापा बतलाओ ना , अच्छे दिन कैसे होते हैं

क्या होते हैं गुड़ियों जैसे , या परियों जैसे होते हैं.

 

गलियारों में रहा छानता , चौबारों में खोज चुका हूँ

अखबारों में ढूँढ रहा हूँ , अच्छे दिन कैसे होते हैं

 

पापा पापा बतलाओ ना , अच्छे दिन कैसे होते हैं

क्या होते हैं बरफी जैसे, या मिसरी जैसे होते हैं.

 

मेरे दादा बतलाते थे , उनको पुरखों ने बतलाया

बेटे अच्छे दिन तो बिल्कुल, रामराज जैसे होते हैं.

 

पापा पापा बतलाओ ना, रामराज कैसे आएगा

बेटा ! उस दिन ही आएगा, जब हर रावण मर जाएगा .

 

 

[मौलिक व अप्रकाशित]

Views: 649

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on November 26, 2014 at 12:19pm

आदरणीय अरुण जी ..ये रचना तो बिलकुल दिल को भा गयी ...जी भर गुनगुनाया , जितनी तारीफ की जाए कम .अनूठी और अद्भुत बल सुलभ सौन्दर्य लिए इस रचना के लिए तहे दिल बधाई सादर 

Comment by Hari Prakash Dubey on November 26, 2014 at 2:55am

 दिन तो दिन होते हैं ,गिनती के पल-छिन होते हैं...सुन्दर कहा आपने अरुण जी ,बधाई !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 25, 2014 at 9:29pm

बहुत प्यारी  बालसुलभ रचना ..बहुत सन्देश परक इसको पढ़कर बचपन की एक कविता याद आई कुछ यूँ थी .....मम्मी ट्रेन आएगी कब ,बेटी सिग्नल डाउन होगा जब ,मम्मी सिग्नल डाउन होगा कब ,बेटी चार बजेंगे तब ...इसी तरह आगे बढ़ती रहती है कविता.

बहुत बढ़िया प्रस्तुति ,हार्दिक बधाई आपको अरुण निगम जी  

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 25, 2014 at 11:57am

जहां एक ओर बच्चों के मन भावन रचना हुई है, वही सुंदर सन्देश  देती सार्थक रचना - अच्छे दिन आने वाले है ! 

हार्दिक बधाई भाई  श्री  अरुण कुमार निगम जी 

Comment by vijay nikore on November 25, 2014 at 10:40am

कविता के माध्यम सुन्दर संदेश दिया है। बधाई।

Comment by shree suneel on November 24, 2014 at 12:37pm
...Aur har koi jab Ram ban jayega!!

wah! khoob!! barhiya rachna..
Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on November 24, 2014 at 11:56am

आदरणीय अरुण भाईजी , 

जब हर रावण मर जाएगा,

तो भारत खाली हो जाएगा।

अच्छे दिन तो आ जायेंगे,

पर बच्चे ही रह जायेंगे ॥ 

हार्दिक बधाई उस अच्छे दिन के इंतजार में इस अच्छे दिन के लिए 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 24, 2014 at 10:56am

अरुण जी

बालकोपयोगी सुन्दर कविता i  सभी रावण न कभी मरेंगे न अच्छे दिन आयेंगे i

Comment by ram shiromani pathak on November 24, 2014 at 10:28am
बहुत ही सार्थक व् सन्देशप्रद।।बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय
Comment by somesh kumar on November 24, 2014 at 9:16am

अच्छे दिन एक आस है ,विश्वास है ,प्रयास है फिर भी इसमें निराशा और उपहास है ,अच्छे दिन पर एक सार्थक-प्रतिक्रिया इस रचना के माध्यम से दी आपने ,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
8 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service