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गज़ल ~ बडा मासूम सा एहसास

1222 1222 1222 1222

बडा मासूम सा एहसास तेरी दोस्ती का है ।
मुकद्दर ने दिया तोहफा मुझे ये जिन्दगी का है ।

हो जन्मोँ का कोई बिछडा हुआ साथी मिला जैसे ,
न पूछो कौन सा मंजर मेरे दिल मेँ खुशी का है ।

हजारोँ लोगोँ से मिलकर लगा यूँ देख ली दुनिया ,
मगर कहता रहा दिल इंतजार अब भी किसी का है ।

कहीँ खोया सा रहता हूँ जगा सोया सा रहता हूँ ,
असर ये हो न हो , बेशक , तेरी जादूगरी का है ।

मुहब्बत के नशेमन मेँ न जाने कौन सा रिश्ता ,
लबोँ पे मुस्कराहट और आँखोँ मेँ नमी का है ।

ये दिल की सरफिरी बातेँ महज कुछ चंद लफ्जोँ मेँ ,
सलीके से बयाँ करना हुनर बस शायरी का है ।

मौलिक व अप्रकाशित

नीरज मिश्रा

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Comment

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Comment by Hari Prakash Dubey on December 16, 2014 at 11:18pm

सलीके से बयाँ करना हुनर बस शायरी का है....सुन्दर रचना ,बधाई  नीरज मिश्रा जी !

Comment by somesh kumar on December 16, 2014 at 11:05pm

मोहब्बत,इश्क ,प्यार ,लव कुछ भी कह लो 

अहसास वही है ,लफ्ज़ बदले हैं बस 

सुंदर अहसास में सराबोर हर अलफ़ाज़ दिल में उतर गया 


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Comment by मिथिलेश वामनकर on December 16, 2014 at 10:53pm

हजारोँ लोगोँ से मिलकर लगा यूँ देख ली दुनिया ,
मगर कहता रहा दिल इंतजार अब भी किसी का है ।

बहुत खूब ........... अच्छे भाव ... हार्दिक बधाई 

Comment by vijay nikore on December 16, 2014 at 9:41pm

रचना अच्छी लगी। बधाई।

Comment by Dr. Vijai Shanker on December 16, 2014 at 8:40pm
हजारोँ लोगोँ से मिलकर लगा यूँ देख ली दुनिया ,
मगर कहता रहा दिल इंतजार अब भी किसी का है ।
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति प्रकट करती रचना , बधाई , आदरणीय नीरज मिश्रा जी , सादर।

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Comment by rajesh kumari on December 16, 2014 at 6:53pm

कहीँ खोया सा रहता हूँ जगा सोया सा रहता हूँ ,
असर ये हो न हो , बेशक , तेरी जादूगरी का है ।----क्या कहने वाह 

ये दिल की सरफिरी बातेँ महज कुछ चंद लफ्जोँ मेँ ,
सलीके से बयाँ करना हुनर बस शायरी का है ।---कमाल का अशआर 

बहुत सुन्दर ग़ज़ल ..तहे दिल से दाद कबूलिये नीरज जी 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 16, 2014 at 12:06pm

नीरज जी आप हमेशा अच्छा ही लिखते हैं i यह प्रस्तुति भी उतनी ही अच्छी है i

Comment by Shyam Narain Verma on December 16, 2014 at 11:40am

बहुत ही लाजवाब रचना है , बधाई।

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