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ऐसी लेखनी को मन से करूं प्रणाम
पढ़ के दोहभाव को मिलता है विश्राम
आदरणीय हरिवल्लभ शर्मा सर आपकी दोहावली आखिर तक बाँधे रखती है वाह क्या लाजवाब प्रस्तुति है बहुत बहुत बधाई आपको
आदरणीय गोपाल नारायन श्रीवास्तव साहब बहुत सुन्दर दोहों से अभिभूत कर दिया आपने..वास्तव में हर सुह्रद इंसान के यही भाव होंगे...इतने ही सुन्दर नववर्ष की कल्पना की है..अच्छे दिनों की बाट जोहते नए वर्ष का स्वागत...हार्दिक आभार आपने अपना स्नेह दोहों के माध्यम से आलोड़ित किया ..सादर.
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आपकी स्नेहिल टीप का ह्रदय से आभार.. दोहा पर अनुग्रह मिला ..सादर.
हार्दिक बधाई आपको इस रचना पर आदरणीय हरिवल्लभ शर्मा सर ....
क्या खूब दोहा कहा है -
प्रोत्साहन हेतु हार्दिक आभार आदरणीय Hari Prakash Dubey जी ..कृपया स्नेह बनाये रखें..सादर.
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