मन बहुत अकेला है - - - -
आँखे तुमने बंद करीं
सब संज्ञाए बदल गई
बाद तुम्हारें कितनी ठेलम-ठेला है !
मन बहुत अकेला है - - - -
रिश्ते नए क्रम में आए
प्रतिबद्धताएँ बदल गईं
मनोभाव से सबने मेरी खेला है !
मन बहुत अकेला है - - - -
बैठ अकेले में कैसे संताप करूँ
अब बीते का क्या आलाप करूँ
आगत-आज में हुआ झमेला है
मन बहुत अकेला है - - - -
तुमसे निजता का उपहार सम्भाले हूँ
खुले हाट में अपना भाव सम्भाले हूँ
जीवन ऊँच-नीच का खेला है!
मन बहुत अकेला- - - -
सोमेश कुमार(मौलिक एवं अप्रकाशित )
Comment
आदरणीय सोमेश जी भावों की अच्छी अभिव्यक्ति है बहुत बहुत बधाई आपको
बैठ अकेले में कैसे संताप करूँ
अब बीते का क्या आलाप करूँ
आगत-आज में हुआ झमेला है
मन बहुत अकेला है - - - -
आदरणीय सोमेश कुमार जी सभी बंध सुन्दर हैं |भावाभिव्यक्ति लाज़वाब है |सादर अभिनन्दन |
अब बीते का क्या आलाप करूँ
आगत-आज में हुआ झमेला है.......सुन्दर प्रयास ,सुन्दर भाव ,बधाई आपको सोमेश भाई !
SOMESH JEE
अच्छा प्यारा प्रयास i
सुन्दर प्रस्तुति .... बधाई
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