रात आँखों में बिता दूँ ! तो क्या बुरा मानोगे ?
मैं आज बत्तियां जला दूँ ! तो क्या बुरा मानोगे ?
बैठे हो सर झुकाए, कुछ गुमशुदा से बन के,
आज घूँघट फिर उठा दूँ ! तो क्या बुरा मानोगे ?
है कंपता बदन ये, आँखों में कुछ नमी है,
लाओ सर जरा दबा दूँ ! तो क्या बुरा मानोगे ?
लगती हो खोई-खोई, किस सोच में पड़ी हो ?
ग़र फिक्र सब मिटा दूँ ! तो क्या बुरा मानोगे ?
ख़ामोशी क्यूँ है इतनी ? अरे गाते थे कभी हम,
मैं कुछ गीत गुनगुना दूँ ! तो क्या बुरा मानोगे ?
बोये जो बीज हमने, फले पेड़ प्यार के वो,
मैं कुछ डालियाँ हिला दूँ ! तो क्या बुरा मानोगे ?
हैरान से हो क्यूँ तुम ? अजी सामने ही सबके,
तुमको गले लगा लूँ ! तो क्या बुरा मानोगे ?
बस तुमसे प्यार करते, तेरा ख्याल रखते,
पूरी ज़िन्दगी बिता दूँ ! तो क्या बुरा मानोगे ?
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
सराहना,प्रोत्साहन एवं काव्य-विश्लेषण के लिए आप सभी माननीय सज्जनों का ह्रदय से कोटि-कोटि आभार | साथ ही आप सबको नव-वर्ष की हार्दिक मंगलकामनाएँ |
बहुत सुंदर आदरणीय संदेश जी
सुन्दर रचना ,हार्दिक बधाई संदेश नायक 'स्वर्ण' जी !
हैरान से हो क्यूँ तुम ? अजी सामने ही सबके,
तुमको गले लगा लूँ ! तो क्या बुरा मानोगे ?
बस तुमसे प्यार करते, तेरा ख्याल रखते,
पूरी ज़िन्दगी बिता दूँ ! तो क्या बुरा मानोगे ?-----------------------अति सुन्दर i
बोये जो बीज हमने, फले पेड़ प्यार के वो,
मैं कुछ डालियाँ हिला दूँ ! तो क्या बुरा मानोगे ?
आदरणीय नायक साहब सुन्दर प्रस्तुति है |सादर अभिनन्दन |
लाजवाब प्रस्तुति के लिये बहुत बहुत बधाई स्वीकारेँ |
आदरणीय सन्देश भाई जी आपको सुन्दर प्रेम गीत की प्रस्तुति के लिए आपको हार्दिक बधाई
बुरा मानने वाली नहीं ,ये तो ह्म्ख्याली और मोहब्बत की गज़ल हो गई भाई ,दाद कबूल करें
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