२१२/ २१२/ २१२ /२१२
आँधियों में ही दीपक जलाते हैं हम
आहिनी हैं इरादे दिखाते हैं हम
आपको देखते देखते क्या हुआ!
आईये दिल की धड़कन सुनाते हैं हम
चाँद के सामने चाँद कैसा लगे
सोच कर भी न कुछ सोच पाते हैं हम
आईने पर हमारी नजर जब पडी
सोच कर हंस दिए क्या छुपाते हैं हम
बेबफा ही सही प्यार तो प्यार है
याद आता है जितना भुलाते हैं हम
दोस्तों पे यकी आज भी है हमें
दोस्ती की कसम अब भी खाते हैं
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आदरणीय डॉ आशुतोष जी अच्छी रचना है सारे अशआर प्रभावित करते हैं बहुत बहुत बधाई आपको
bahut hi acchi gazal sharing ke liye tah-e-dil se shukriya ........bahit hi nazuk ashyar hai mujhe khoob lage
आपको देखते देखते क्या हुआ!
आईये दिल की धड़कन सुनाते हैं हम
चाँद के सामने चाँद कैसा लगे
सोच कर भी न कुछ सोच पाते हैं हम
आईने पर हमारी नजर जब पडी
सोच कर हंस दिए क्या छुपाते हैं हम
आपको देखते देखते क्या हुआ!
आईये दिल की धड़कन सुनाते हैं हम
बेबफा ही सही प्यार तो प्यार है
याद आता है जितना भुलाते हैं हम
दोस्तों पे यकी आज भी है हमें
दोस्ती की कसम अब भी खाते हैं ---- बहुत बढ़िया आदरणीय आशुतोष भाई , हार्दिक बधाई ।
आँधियों में ही दीपक जलाते हैं हम
आहिनी हैं इरादे दिखाते हैं हम...आदरणीय डॉ आशुतोष जी सुन्दर रचना , हार्दिक बधाई आपको !
चाँद के सामने चाँद कैसा लगे
सोच कर भी न कुछ सोच पाते हैं हम-------------------------- नयी सोच है i बधाई हो i
आईने पर हमारी नजर जब पडी
सोच कर हंस दिए क्या छुपाते हैं हम
… बेहतरीन ग़ज़ल .... इस दिलकश प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय।
बढ़िया ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाइयाँ. .. |
आदरणीय डॉ आशुतोष जी, ग़ज़ल अच्छी हुई है, कुछ जगह टंकण त्रुटि है ठीक करवा/कर लें. बधाई प्रेषित करता हूँ.
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