**सूरज रे जलते रहना.
भीषण हों कितनी पीढायें,
अंतस में दहते रहना.
सूरज रे जलते रहना.
घिरते घोर घटा तम बादल,
रोक नहीं तुमको पाते,
सतरंगी घोड़ों के रथ पर,
सरपट तुम बढ़ते जाते.
दिग दिगंत तक फैले नभ पर,
समय चक्र लिखते रहना.
सूरज रे जलते रहना.
छीन रहे हैं स्वर्ण चंदोवा,
मल्टी वाले मुस्टंडे.
सीलन ठिठुरन शीत नमी सब,
झुग्गी वाले हैं ठन्डे.
फैले बरगद के नीचे के,
तिनकों की सुनते रहना.
सूरज रे जलते रहना.
धुंध धुंआ पाला कुहरा सब.
कष्टों का अम्बार लिए.
कहर ढा रहे ओले बादल,
अपना शस्त्रागार लिए.
शोषण करते इन दुष्टों से.
चौकस हो लड़ते रहना.
सूरज रे जलते रहना.
अवयव अपने जला जला कर,
तुम तापस बन तपते हो.,
हरते तमस पीर इस जग की.
परमारथ ही करते हो.
धरती के हर कोने जाकर,
ऊर्जा धन भरते रहना..
सूरज रे जलते रहना.
**हरिवल्लभ शर्मा
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
अवयव अपने जला जला कर,
तुम तापस बन तपते हो.,
हरते तमस पीर इस जग की.
परमारथ ही करते हो.
धरती के हर कोने जाकर,
ऊर्जा धन भरते रहना..
सूरज रे जलते रहना. ---------------------------bahut sundar rachna I vaah----- I
धरती के हर कोने जाकर,
ऊर्जा धन भरते रहना..
सूरज रे जलते रहना.
आदरणीय भाई हरिबल्लभ जी ,इस सुन्दर गीत के लिए हार्दिक बधाई .
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आपकी स्नेहिल अभिस्वीकृति का ह्रदय तल से आभार...सादर
आदरणीय Dr. Vijai Shanker साहब आपका हार्दिक आभार , रचना पर आपकी स्नेहिल टीप से प्रोत्साहन मिला ..सादर.
आदरणीय gumnam pithoragarhi जी आपका अनुमोदन मिला हार्दिक आभार आपका.
आदरणीया Maheshwari Kaneri जी रचना पर आपका अनुमोदन मिला , प्रोसाहित करती टीप हेतु ह्रदय से आभार आपका,..सादर
वाह सर बहुत खूब रचना हुई है बधाई स्वीकारें
.आदरणीय हरिवल्लभ शर्मा जी , सुन्दर रचना , हार्दिक बधाई
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online