" बहुत बहुत बधाई जन्मदिन की, आज तो पार्टी बनती है " , ऑफिस पहुँचते ही सहकर्मियों ने घेर लिया शर्माजी को | एक बारगी तो वो सोच ही नहीं पाये कि कैसे प्रतिक्रिया दें इस पर , उनसठवां जन्मदिन था उनका | अगले साल सेवानिवृत्त हो जायेंगे और घर में बेरोज़गार पुत्र एवम शादी के योग्य पुत्री |
चेहरे पे फीकी मुस्कान लाते हुए सबका आभार व्यक्त करने लगे और आवाज लगायी " सबके लिए नाश्ते का इंतज़ाम आज मेरी तरफ से कर देना भोला " | सब प्रसन्न थे पर उनके मन में यही चल रहा था कि ऐसा जन्मदिन किसी का न हो |
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
बहुत बहुत आभार आदरणीय राजेश कुमारी जी..
कई बार मन मारकर हालात से समझौता करना पड़ता है दिल में गम मुख पर हँसी जिन्दगी बहुत कुछ करवाती है ,बहुत बढ़िया विषय पर लिखी है लघु कथा बहुत- बहुत बधाई.
बहुत बहुत आभार प्रतिभा त्रिपाठी जी |
बहुत बहुत आभार गुमनाम पिथौरागढ़ीजी ..
बहुत बहुत आभार हरी प्रसाद दुबे जी..
सुंदर लघुकथा, हार्दिक बधाई आदरणीय विनय जी....आज तो पार्टी बनती है " . !
बहुत बहुत आभार आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी लघुकथा पर दृष्टि डालने हेतु |
आदरणीय विनय कुमार सिंहजी, आपकी दृष्टि के पैनेपन पर मैं मुग्ध हूँ. जिस विन्दु को आपने अपनी लघुकथा का कथ्य बनाया है, वह सार्वभौमिक है. ऐसे कार्यालयी वातावरण में अक्सर ऐसा होता है. पृष्ठभूमि तथा वर्तमान के सच जब दो सिरों पर दिखें तो ऐसी घड़ियाँ अवश्य भारी पड़ती हैं.
लघुकथा में नायक के मानसिक घूर्णन को यथासम्भव शब्द मिले हैं.
शुभकामनाएँ.
आभार जितेन्द्र पस्टारिया जी..
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