For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

" देखो तो , आज माँ के लिए मैं क्या लाया हूँ "|
" क्या जरुरत थी माताजी को इतनी बढ़िया साड़ी लाने की !" , पत्नी की आवाज में आश्चर्य झलक रहा था |
" माँ की आँखें नहीं हैं लेकिन मेरी तो हैं ना "|

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 608

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on January 19, 2015 at 8:32pm

 बहुत बहुत आभार आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी ..

Comment by विनय कुमार on January 19, 2015 at 8:31pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी..

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 19, 2015 at 7:06pm

उत्तम  भाव रचित सुंदर सन्देश देती लघु कथा के लिए हार्दिक  बधाई  श्री विनय कुमार सिंह जी 

Comment by Hari Prakash Dubey on January 19, 2015 at 6:56pm

 आदरणीय विनय जी  बहुत कम शब्दों में सुन्दर ,सार्थक लघुकथा ! हार्दिक बधाई !

Comment by विनय कुमार on January 19, 2015 at 6:54pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय जीतेन्द्र पस्तरीया जी | शायद सन्देश देने में सफल हुई है लघुकथा..

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 19, 2015 at 6:07pm

बहुत सुंदर लघुकथा , आदरणीय विनय जी. आपने अपने प्रतिउत्तर में बहुत प्रभावी बात कही. सच! स्वस्थ इंसान की विकलांग मानसिकता न ही दिखती है अपितु घातक भी रहती है

Comment by विनय कुमार on January 19, 2015 at 3:47pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय डॉ गोपाल नारायण त्रिपाठी जी | शारीरिक रूप से विकलांग लोगों की विकलांगता तो दिख जाती है लेकिन शारीरिक रूप से स्वस्थ लोगों की मानसिक विकलांगता कहाँ दिखती है |

Comment by विनय कुमार on January 19, 2015 at 3:44pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय अर्चना त्रिपाठी जी |

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 19, 2015 at 3:08pm

विनय जी

क्या पंच लाइन है i आपको साधुवाद i  बहुत मार्मिक i बधाई  हो i

Comment by Archana Tripathi on January 19, 2015 at 10:35am
नैतिकता की उच्च मानसिकता को दर्शाती कथा

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service