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कोशिशें पुरखों की यारों बेअसर मत कीजिए
नफरतों को फिर दिलों का यूँ सदर मत कीजिए
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मिट गये ये तो नरक सी जिंदगी हो जाएगी
प्यार को सौहार्द को यूँ दरबदर मत कीजिए
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कर रहे हो कत्ल काफिर बोलकर मासूम तक
नाम लेकर धर्म का ऐसा कहर मत कीजिए
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वो शहीदी कैसे जिनसे है फसादों की फसल
उनको ये इतिहास में लिख के अमर मत कीजिए
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दुश्मनी होती है पल में दोस्ती को इक दसक
दोस्तों से यूँ सियासत को समर मत कीजिए
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कुछ तो अपनापन बचा है नीम तुलसी आम में
गाँव को तहजीब में यारो नगर मत कीजिए
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चाहिए रफ्तार लेकिन जिंदगी घोड़ा नहीं
बेमियादी दौड़ से लय बेबहर मत कीजिए
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मौलिक और अप्रकाशित
Comment
आ0 भाई हरिप्रकाश जी , गजल का अनुमोदन कर उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
कर रहे हो कत्ल काफिर बोलकर मासूम तक
नाम लेकर धर्म का ऐसा कहर मत कीजिए
आदरणीय लक्ष्मण साहब ,उम्दा ग़ज़ल हुई है |ढेरों दाद कबूल फरमावें |सादर
आदरणीय लक्ष्मण भाई , हर शे र लाजवाब हुये हैं , आपको दिली बधाइयाँ । बस एक बात - कहर , बेबहर , के वास्तविक रूप इस गज़ल के काफिया नहीं बन पायेंगे ( केवल जानकारी के लिये ) ।
आदरणीय लक्ष्मण जी .इस बेहतरीन ग़ज़ल पर मेरी तरफ से ढेरों बधाई स्वीकार करें
मिट गये ये तो नरक सी जिंदगी हो जाएगी
प्यार को सौहार्द को यूँ दरबदर मत कीजिए................सामयिक सन्देश आज की सबसे बड़ी जरूरत
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कर रहे हो कत्ल काफिर बोलकर मासूम तक
नाम लेकर धर्म का ऐसा कहर मत कीजिए..........चिंतन की बात
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वो शहीदी कैसे जिनसे है फसादों की फसल
उनको ये इतिहास में लिख के अमर मत कीजिए.....अच्छा मशविरा
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दुश्मनी होती है पल में दोस्ती को इक दसक
दोस्तों से यूँ सियासत को समर मत कीजिए...........बेहतरीन
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कुछ तो अपनापन बचा है नीम तुलसी आम में
गाँव को तहजीब में यारो नगर मत कीजिए.............ये बात तो दिल को छू गयी
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चाहिए रफ्तार लेकिन जिंदगी घोड़ा नहीं
बेमियादी दौड़ से लय बेबहर मत कीजिए..बिलकुल सहे इस रचना पर पुनः आपको ढेरों बधाई सादर
दुश्मनी होती है पल में दोस्ती को इक दसक
दोस्तों से यूँ सियासत को समर मत कीजिए
पूरी गज़ल बेहतरीन शे'रों से मुक्कमल हुई है |और दिल्ली के चुनावी माहौल और अपने घर-आसपास के माहौल पर ये शे'र खूब पसंद आया |
आदरणीय लक्ष्मण धामी सर जी, बहुत बेहतरीन ग़ज़ल हुई है दिली दाद कुबूल करे ... ख़ास तौर से ये दो अशआर
कुछ तो अपनापन बचा है नीम तुलसी आम में
गाँव को तहजीब में यारो नगर मत कीजिए...... बहुत ही उम्दा वाह
चाहिए रफ्तार लेकिन जिंदगी घोड़ा नहीं
बेमियादी दौड़ से लय बेबहर मत कीजिए--बहुत खूब कहा है ... बेहतरीन शेर
कुछ तो अपनापन बचा है नीम तुलसी आम में
गाँव को तहजीब में यारो नगर मत कीजिए--बहुत सुन्दर
चाहिए रफ्तार लेकिन जिंदगी घोड़ा नहीं
बेमियादी दौड़ से लय बेबहर मत कीजिए--बहुत खूब
बहुत बहुत बधाई आपको लक्ष्मण भैया
आदरणीय क्या बात कही है आपने एक एक शेर मन की गहराई में उतरते हुए
ढेरों बधाई कबूल फरमाएं |
सादर नमन !
प्रिय शेर -
चाहिए रफ्तार लेकिन जिंदगी घोड़ा नहीं
बेमियादी दौड़ से लय बेबहर मत कीजिए
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