For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

‘दो टिकट बछरावां के लिए’ –मैंने सौ का नोट देते हुए बस कंडक्टर से कहा I

‘टूटे दीजिये, मेरे पास चेंज नहीं है I’

‘कितने दूं ?’

‘बीस रुपये ‘

   मैंने उसे बीस रूपए दे दिये और पर्स सँभालने में व्यस्त हो गया I वह रुपये लेकर आगे बढ़ गया I

-'क्या कंडक्टर ने टिकट दिया ?'- सहसा मैंने पत्नी से पूछा i

‘नहीं तो ‘ उसने चौंक कर कहा I  तभी बगल की सीट पर बैठा एक अधेड़ बोल उठा –‘टिकट भूल जाइये साहेब , बछरावां के दो टिकट तीस रुपये के हुए उसने आपसे बीस ही तो लिए i दस का फायदा आपका और बीस का उसका I गौरमेंट की ऐसी-तैसी I’

 

(मौलिक व् अप्रकाशित )     

Views: 650

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on February 23, 2015 at 7:03pm

विजय सर !

आपकी स्नेहिल प्रतिक्रिया का आभार i

Comment by विनय कुमार on February 23, 2015 at 5:51pm

रोज ही दो चार होते हैं लोग ऐसे वाकयों से लेकिन मूल बात वही " सरकार की ऐसी की तैसी "| सुन्दर लघुकथा , बधाई..

Comment by Satyanarayan Singh on February 23, 2015 at 3:30pm

भ्रष्टाचार के कई रूप होते है  उसके  एक रूप  की झलक इस लघु कथा में देखने को मिलती है . इस सफल लघुकथा हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें. आ. डॉ. गोपाल नारायन जी 

Comment by khursheed khairadi on February 23, 2015 at 9:15am

आदरणीय गोपालनारायण सर ,बहुत जीवंत व्यंग्य है |सिस्टम में अनजाने ही हम सब ढल चुके है |कटु सत्य |हार्दिक बधाई |सादर अभिनन्दन |

Comment by Hari Prakash Dubey on February 23, 2015 at 2:26am

आदरणीय डॉo गोपाल नारायण सर ,तीर सीधे निशाने पर मारा है . “गौरमेंट की ऐसी-तैसी” सुन्दर रचना , हार्दिक बधाई ! सादर .

Comment by maharshi tripathi on February 22, 2015 at 6:17pm

बहुत सुंदर जीवंत उदाहरण ,,,इस अच्छी लघुकथा पर आपको सादर बधाई आ. गोपाल नारायण जी |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 22, 2015 at 4:10pm

सहभागिता आधारित भ्रष्टाचार पर सटीक व्यंग्य 

सफल लघुकथा पर हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव सर.

Comment by Shubhranshu Pandey on February 22, 2015 at 12:27pm

इसे ही कहते है करप्शन विथ कापरेशन 

सुन्दर कथा. 

सादर.

Comment by Dr. Vijai Shanker on February 22, 2015 at 11:46am
जय हो, सहभागिता इसी को कहते हैं।
क्या कहें, कितना कहें, किस से कहें.
फिलहाल संज्ञान के लिए कहानी अच्छी है, बधाई , आदरणीय डॉo गोपाल नारायण जी, सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
18 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service