छन्न पकैया, छन्न पकैया, बाबा देवर लागें
फागुन रुप धरे मतवाला,भाव सुहाने जागे ॥
छन्न पकैया, छन्न पकैया, राधा है शरमीली
अस्सी गज का लहँगा पहने,चोली रंग रँगीली ॥
छन्न पकैया, छन्न पकैया, आम्र सुनहरे बौरे
केसर के नव पल्लव उगते, घूमें लोलुप भौरे ॥
छन्न पकैया, छन्न पकैया,पिक बयनी हरषाए
कुहू-कुहू करती रहती वो, सबके मन को भाए ॥
छन्न पकैया, छन्न पकैया, गेंदा चम्पा महके
शीतल मंद सुगंध हवा में, प्रेमी जोड़ा बहके ॥
छन्न पकैया, छन्न पकैया,टेसू मन लहकाये
पर तितली के हैं रंगीले, फरर-फरर लहराये ॥
छन्न पकैया, छन्न पकैया, मोहन रास रचाए
राधा ललिता की टोली ने ,ब्रज में धूम मचाए॥
छन्न पकैया, छन्न पकैया, रजत हो गईं रातें
मधुवन में बैठे मन मोहन, श्यामा से हैं बातें॥
छन्न पकैया, छन्न पकैया , भौरे करते गुंजन
खिली-खिली बेसुध सी कलियाँ, करता वो आलिंगन ॥
छन्न पकैया, छन्न पकैया, दिनकर आँगन उतरा
सोने से खलिहान हो गए, दिन ढलता कतरा-कतरा ॥
छन्न पकैया, छन्न पकैया, नभ पर तारे चमके
वन उपवन चाँदी से लगते, फूल खिले हैं मनके॥
मौलिक व अप्रकाशित
कल्पना मिश्रा बाजपेई
Comment
आ0लक्ष्मण रामानुज लडीवाला सर आभारी हूँ /सादर
सुंदर और सरस भावों में रचा सार छंद बेहद पसंद आया | हार्दिक बधाई आदरणीया कल्पना मिश्रा बाजपाई जी
आ० somesh kumar जी आभार /सादर
आ० maharshi tripathi जी आभार /सादर
आ० Shyam Narain Verma सर बहुत आभार /सादर
आ०Hari Prakash Dubey सर आभार /सादर
आ० मिथिलेश वामनकर सर आभार /सादर
आ० डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव सर आप का सुझाव सिर आँखों पर बहुत आभार /सादर
छन्न पकैया, छन्न पकैया, कविता ये हरषाए
भाव रंगी होली रंगो में , सबके मन को भाए ॥
आदरणीया कल्पना मिश्रा बाजपेई जी बहुत सुन्दर प्रस्तुति है !आपको हार्दिक बधाई। सादर
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