For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सर्वश्रेष्ठ कविता : लघुकथा –हरि प्रकाश दुबे

“ कवि सम्मलेन का भव्य आयोजन हो रहा था, सभागार श्रोताओं से खचाखच भरा हुआ था , देश के कई बड़े कवि मंच पर उपस्तिथ थे, मंच संचालक महोदय बार –बार निवेदन कर रहे थे की अपनी सर्वश्रेष्ठ रचना का पाठ करें, इसी श्रृंखला में उन्होंने कहा, अब मैं आमंत्रित करता हूँ, आप के ही शहर से आये हुए श्रधेय कवि विद्यालंकार जी का, तालियों से सभागार गूँज उठा !”

“तभी मंच संचालक महोदय ने उनके कान में कहा ‘सर कृपया १५ मिनट से ज्यादा समय मत लीजियेगा’ !”

“विद्यालंकार जी ने मंच पर आसीन कवियों एवम् श्रोताओं से कहा, आप सभी को सादर प्रणाम, अब मैं अपनी सर्वश्रेष्ठ रचना प्रस्तुत करने जा रहा हूँ, पर आप सभी से निवेदन है की कोई ताली नहीं बजाएगा ,ना ही कोई वाह-वाह करेगा, कृपया अपनी –अपनी आँखें बंद कर लें और कविता का आनंद लें !”

“ सभी ने अपनी आंखें बंद कर लीं, मौन छा गया, ठीक १५ मिनट तक मौन , फिर आवाज आयी, आशा है आपको कविता पसंद आई होगी ,थोडा जल्दी में हूँ ,आप सभी का आभार और इस तरह विद्यालंकार जी बिना कुछ कहे ही चल दिए  !”

“सभा में सन्नाटा था, हर एक का मस्तिष्क सर्वश्रेष्ठ कविता का निष्कर्ष निकालने में जुटा हुआ था !”

 

© हरि प्रकाश दुबे

"मौलिक व अप्रकाशित”    

 

       

Views: 652

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Hari Prakash Dubey on March 9, 2015 at 9:55pm

हा हा हा , बहुत खूब आदरणीय शुभ्रांशु पाण्डेय जी ,इसी मौन मै ही कविता का जन्म होता है ,रचना पर आपकी उपस्थिति और प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार आपका ! सादर 

Comment by Shubhranshu Pandey on March 9, 2015 at 9:48pm

आदरणीय हरि प्रकाश जी,

कवि महोदय से ज्यादा सम्मान के पात्र तो श्रोता हैं जो १५ मिनट तक शांत भाव से इस मौन को सुनते रहे. 

सादर.

Comment by Hari Prakash Dubey on March 8, 2015 at 12:42pm

सोमेश भाई रचना पर आपके समर्थन एवं उत्साहजनक प्रतिक्रया के लिए हार्दिक आभार !

Comment by Hari Prakash Dubey on March 8, 2015 at 11:13am

आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया साहब, रचना की सराहना करने के लिए आपका ह्रदय तल से आभार ! सादर

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on March 8, 2015 at 11:08am

वाह! बहुत खूब,आदरणीय हरिप्रकाश जी. सच! एक नया दृष्टिकोण. बहुत-बहुत बधाई

Comment by Hari Prakash Dubey on March 7, 2015 at 8:46pm

आदरणीय डॉक्टर विजय शंकर सर बहुत सही विश्लेषण और सटीक अभिव्यक्ति दी है आपने ,आपकी स्नेहिल पतिक्रिया पर आपका दिल से शुक्रिया ,हार्दिक आभार ! सादर 

Comment by somesh kumar on March 6, 2015 at 11:17pm

वाह सुंदर सटीक और एक गहन संदेश से भरपूर लघुकथा |बधाई भाई जी 

Comment by Dr. Vijai Shanker on March 6, 2015 at 1:15pm
बहुत ही सटीक व्यंग है, हम हर तरह की बकवास को सिर्फ इसलिए झेलते हैं कि उसको नियंत्रित करने में हम अक्षम हैं, पर प्रतिभा को हम सदैव बाँधने का प्रयत्न करते हैं या उसे एक सीमित फ्रेम देते हैं कि इसी में रहो , इससे बाहर नहीं निकालना।जैसा इस लघु कथा में दिखाया गया है.
बधाई , इस सुन्दर प्रस्तुति पर आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी, सादर।
Comment by Hari Prakash Dubey on March 6, 2015 at 12:14pm

आदरणीय वंदना जी आपने रचना के मर्म को समझा ,हार्दिक आभार आपका ! सादर 

Comment by vandana on March 6, 2015 at 9:56am

सच है आदरणीय मौन से सुन्दर कविता और कोई नहीं 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service