For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

212 212 212 212

 

आज दिल की कहानी छुपा ले गयी

आँख से नींद, यादें चुरा ले गयी

 

कैस खुद को भुलाए कोई तू बता  

फिक्र तेरी ज़हन को बहा ले गयी

 

तू नहीं जिंदगी में ये ग़म है मुझे

दूरियां दर्द का भी मजा ले गयी

 

शीत की ये लहर टीस बन कर उठी

हाय दिल की अगन को बढ़ा ले गयी

 

हसरतें अब ये दिल से जुदा हो न हो

मौत की ये रवानी खुदा ले गयी

 

वक्त की चाल का क्या पता ऐ “निधी”

आस जीवन से पतझड़ हटा ले गयी

 

निधि 

मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 423

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on March 23, 2015 at 8:30pm

तू नहीं जिंदगी में ये ग़म है मुझे

दूरियां दर्द का भी मजा ले गयी

वाह! बहुत बहुत बधाइयाँ!

Comment by Hari Prakash Dubey on March 23, 2015 at 12:38am

आदरणीया निधि जी, सुन्दर ग़ज़ल है ,बधाई आपको ! सादर 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 22, 2015 at 8:50pm

अच्छी ग़ज़ल हुई है, बधाई देता हूँ आदरणीया निधि अग्रवाल जी.

Comment by somesh kumar on March 22, 2015 at 7:55pm

तू नहीं जिंदगी में ये ग़म है मुझे

दूरियां दर्द का भी मजा ले गयी

सुंदर,बधाई इस कामयाब गज़ल पर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on March 22, 2015 at 2:42am
आदरणीया निधि जी बहुत बढ़िया हार्दिक बधाई।
Comment by gumnaam pithoragarhi on March 21, 2015 at 10:52pm
वाह बहुत खूब बधाई .....................
Comment by maharshi tripathi on March 21, 2015 at 5:24pm

उम्दा गजल हेतु आपको बधाई आदरणीय |

Comment by Shyam Narain Verma on March 21, 2015 at 4:38pm
बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल ....हार्दिक बधाई ! 
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on March 21, 2015 at 1:32pm

आ निधि जी

सुन्दर्  गजल  . मक्ता सुभान अल्लाह . सादर.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on March 21, 2015 at 9:12am

बह्र तो खूब निभाया है अापने उसके लिये बहुत बहुत बधाई।
वक्त की चाल का क्या पता ऐ “निधी”
आस जीवन से पतझड़ हटा ले गयी
ये शेर बहुत अच्छा लगा 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम..."
1 hour ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Oct 11

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service