“अरे!! भाई.. दोनों में से एक बैल तो अभी दांत वाला है, ठीक से कीमत बता. फिर बिना दांत वाला वैसे ही लेजा, उसका क्या करूँगा मैं..? आखिर खली-भूसा भी महंगा पड़ता है..”
“पटेल भैया .. दांत वाले की ही कीमत है, बुढ्ढे बैल को मुझ से भी कौन खरीदेगा..? यहीं खूंटे भी ही मरने दो..”
नजदीक ही पटेल भैया के बीमार पिता, चारपाई पर पड़े सारी बातें सुन रहे थे...
जितेन्द्र पस्टारिया
(मौलिक व् अप्रकाशित)
Comment
जीतू भाई
बहुत बढ़िया . बूढ़े का मतलब बेकार का बोझ . बहुत शिक्षाप्रद . सादर.
सुन्दर लघुकथा के लिये आपको बधाई ॥ |
उम्दा लघुकथा! इतने कम शब्दों में कथा अपने भाव को पूर्णतया रखने में सफल हुयी!बहुत बहुत बधाई!आदरणीय जितेन्द्र सर!!
कथा में एक संशय मुझे है!कहने में संकोच होता है कि मुझे मीन-मेख निकलने वाला ही न समझ लिया जाये!पर मेरा भाव कभी किसी की रचना चूक ढूढने का कभी नही रह्ता! जो स्वाभाविक प्रश्न मन में उठता है वह कह देता हूँ,इसे किसी ओर रूप में न देखा जाये तो स्वस्थ्चर्चा हो और ज्ञानार्जन हो मेरा भी और सभी का!
आपकी कथा बैल के दांत के माध्यम से अपना सन्देश को रखती है! जहा पर बैल के मुख में दन्त न होने से उसे बूढ़ा बताया जा रहा है!बैल के दन्त के हिसाब से उसकी क़ीमत आंकी जाती है बिल्कुल सही है,पर यह कीमत उसकी शैशव से प्रौढ़ होने के प्रमाण के रूप में लेकर की जाती है,जैसे २-४ दन्त के हिसाब से उसकी उम्र शैशव की,6 से प्रौढ़,8 से उमदराज प्रौढ़ के हिसाब से क़ीमत तय होती है ! किन्तु बैल के दांत न होने की बात से उसका वृद्ध होना आप नही दर्शा सकते,अलबत्ते उसकी शिशुवस्था को भले दर्शा सकते है!!
बैल के वृद्धावस्था दांत न होना सही प्रतीक नही है! और लघुकथा इसी प्रतीक पे आधारित है, तो प्रतीक का सही-सत्य होना नितांत आवश्यक है! सादर!
आ0 जितेन्द्र भईया, सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी लघुकथा
प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई!सादर।
आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया जी बहुत ही प्रभावकारी लघुकथा हुई है
नजदीक ही पटेल भैया के बीमार पिता, चारपाई पर पड़े सारी बातें सुन रहे थे... ये वाक्य अपना पूरा प्रभाव छोड़ता है और पाठक को बिजली का वहीँ झटका लगता है जो लघुकथा से अपेक्षित होता है
इस सफल लघुकथा पर हार्दिक बधाई निवेदित है
बहुत मार्मिक और सटीक लघुकथा , बधाई आपको..
आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया साहब , बूढ़े बैल और बूढ़े इंसान की क़द्र कहाँ रह जाती है आज के इस समय में, शानदार रचना ,सन्देश स्पष्ट है , हार्दिक बधाई ! सादर
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