For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अब बसन्त नहीं आएगा: कविता :हरि प्रकाश दुबे

एक पतंग

भर रही थी

बहुत ऊँची उड़ान

विस्तृत गगन में

जैसे, जाना चाहती हो

आसमान को चीरती, अंतरिक्ष में

लहराती, बलखाती, स्वंय पर इठलाती

दे ढील दे ढील, सभी एक स्वर में चिल्ला रहे थे !

कई चरखियाँ

खत्म हो गयीं

सद्दीयों के गट्टू  

मान्झों  के गट्टू

गाँठ, बाँध-बाँध कर

एक के बाद एक ऐसे जोड़े गए

जैसे ये अटूट बंधन है ,कभी नहीं टूटेगा

वो काटा, वो काटा पेंच पर पेंच  लडाये जा रहे थे !

तालियाँ बजीं

तड़- तड़- तड़

अब कौन रोकेगा

इसकी उड़ान को

तभी, कुछ डुग्गे आये

आखिर उनको भी, हक़ था उड़ने का

अब आसमान में, युद्ध शुरू हो चुका था

ये आसमानी खींचतान , नियम दुहराये जा रहे थे !

अब यह क्या

कट गयी पतंग

नीचे गिरने लगी

धरती  की तरफ

जैसे, खींच रहा हो उसे

गरूत्वाकर्षण, क्रिया–प्रतिक्रया का नियम

अब कट गयी तो कट गयी, दूसरी देखो, यह बोल  

जाने किस काँच का माँझा लिए, डुग्गे, मुस्करा रहे थे !

 

इधर पतंग के घर वालों की जिंदगी, उलझी डोर बन गयी

अब बसन्त नहीं आएगा, यह कह-कह कर रोये जा रहे थे !!

 

© हरि प्रकाश दुबे

"मौलिक व अप्रकाशित"

 

 

Views: 539

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 7, 2015 at 9:35am

सुंदर रचना पर बधाई आदरणीय!

Comment by Dr. Vijai Shanker on April 6, 2015 at 9:34pm
इधर पतंग के घर वालों की जिंदगी, उलझी डोर बन गयी
अब बसन्त नहीं आएगा, यह कह-कह कर रोये जा रहे थे !!
बहुत ही भावुक प्रस्तुति, बधाई , आदरणीय हरी प्रकाश दुबे जी,सादर।
Comment by Shyam Mathpal on April 6, 2015 at 8:16pm

आदरणीय हरिप्रकाश ji,

बहुत सुन्दर रचना. ढेरों बधाई .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 6, 2015 at 4:44pm

आदरणीय हरिप्रकाश भाई जी सुन्दर प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई 

Comment by Neeraj Neer on April 6, 2015 at 10:27am

बहुत सुन्दर रचना ... हम सबका जीवन पतंग सा  ही तो  है... पतंग का प्रतीक के रूप मं सुन्दर प्रयोग ... बहुत बधाई आदरणीय 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 6, 2015 at 8:53am

आ० हरी प्रकाश जी

सुन्दर रचना . पतंग का प्रतीक्लेकर अपनी अच्छी प्रस्तुति दी . सादर .

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on April 6, 2015 at 8:32am
आदरणीय वाह क्या बात है सुंदर रचना हेतु बधाई आपको ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service