For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -- मेरी बरबाद तमन्ना का जनाज़ा उठ्ठे

अरकान : २१२२-११२२-११२२-२२

मेरी बरबाद तमन्ना का जनाज़ा उठ्ठे
दिल-ए-रेज़ा से शबो रोज़ धुआँ सा उठ्ठे

ये तो मैं हूँ जो ग़मे जाँ से अभी वाबस्ता
मेरे हालात में तो कोई भी घबरा उठ्ठे

झूठ ही झूठ अदालत में दिखाई देता
सच की जानिब से भी तो कोई जियाला उठ्ठे

भूख से मौत के आगोश में जो पहुँचा है
अब न मुफ़लिस का वो सोया हुआ बच्चा उठ्ठे

दुख़्तरे रज़ के तलबगार सभी हैं साक़ी
बस तेरी बज़्म में इक ज़िक्र-ए-पियाला उठ्ठे

लोग दाँतों तले उँगली को दबा लेंगे 'दिनेश'
तेरे किरदार से थोड़ा भी जो पर्दा उठ्ठे

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 847

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by दिनेश कुमार on April 16, 2015 at 3:44pm
हौसला अफज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय केवल प्रसाद जी।
Comment by वीनस केसरी on April 16, 2015 at 12:55am

खूब उस्तादाना ग़ज़ल हुई है ..
जिंदाबाद भाई
दिल खुश कर दिया

Comment by Hari Prakash Dubey on April 15, 2015 at 10:56pm

  आ. दिनेश कुमार जी, सुन्दर ग़ज़ल ,हार्दिक बधाई आपको !

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 15, 2015 at 5:08pm

आ० दिनेश जी

बहुत उम्दा गजल कही आपने . सादर .

Comment by नादिर ख़ान on April 15, 2015 at 1:01pm

आदरणीय दिनेश जी उम्दा गज़ल कही आपने दिल खुश हो गया । बहुत बहुत मुबारकबाद ....

अदरणीय समर साहब ने जो अड्वाइस दी है शेर मे चार चाँद लगा दिये है कमाल की पारखी नज़र है समर भाई ....

Comment by shree suneel on April 15, 2015 at 12:56am
दुख़्तरे रज़ के तलबगार सभी हैं साक़ी
बस तेरी बज़्म में इक ज़िक्र-ए-पियाला उठ्ठे"
क्या बात! बहुत खूब! बाकी के अशआर भी शानदार हैं आ0 दिनेश जी. बधाई
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on April 14, 2015 at 10:58pm

आ० दिनेश सरजी खुबसूरत गजल पर दिली दाद कबूल करें!

Comment by दिनेश कुमार on April 14, 2015 at 5:48pm
हौसला अफ़्ज़ाई के लिये दिल से आभार आदरणीय समर कबीर सर जी। मशविरा देने में बिल्कुल भी संकोच न किया करें आदरणीय। आप को पूरा हक़ है कि आप को अगर किसी भी मिसरा में जरा सी भी गलती या सुधार की गुज़ाइश लगे, तो मुझे सुधार दें।
वाकई मिसरे में सुधार अपेक्षित था। हार्दिक धन्यवाद सर जी।

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 14, 2015 at 4:39pm

क्या बात है बंधू, सभी अशआर एक से बढ़कर एक हुए हैं, मैं भी आदरणीय समर साहब के इस्लाह से सहमत हूँ, बधाई प्रेषित है इस खुबसूरत ग़ज़ल पर.

Comment by Nidhi Agrawal on April 14, 2015 at 2:35pm

बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हुई आदरणीय दिनेश जी 

भूख से मौत के आगोश में जो पहुँचा है
अब न मुफ़लिस का वो सोया हुआ बच्चा उठ्ठे  - बहुत ही उम्दा शेर 

ख़्तरे रज़ के तलबगार सभी हैं साक़ी
बस तेरी बज़्म में इक ज़िक्र-ए-पियाला उठ्ठे - लाजवाब 

बहुत सुन्दर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
21 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । विलम्ब के लिए क्षमा "
yesterday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"जय हो, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए सादर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी। "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। आपकी सार्थक टिप्पणी से हमारा उत्साहवर्धन …"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंद पर उपस्तिथि उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अखिलेश कॄष्ण भाई, आयोजन में आपकी भागीदारी का धन्यवाद  हर बरस हर नगर में होता,…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी छन्द पर उपस्तिथि और सराहना के लिए हार्दिक आभार आपका। दीपोत्सव की हार्दिक…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी हार्दिक बधाई इस प्रस्तुति के लिए ।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service