भोर के स्वर गान में
आकर बसे तुम प्राणों में
रश्मि मुग्धा ले चली
अनुराग सागर की तली
सीप की उच्छवांस में
आकार बसे तुम लहर में
मौन होकर रात भागी
तारकों को विरक्ति लागी
आकाश के सोपान में
आकर बसे तुम भानु में
प्रेम के संतृप्त मन में
नेह से डोले बदन में
चारणों की मधुर धुन में
आकर बसे तुम शब्दों में
नीद के विश्वास में
अभिलाष के अवकाश में
हृदय की सुस्मित पुलकन में
आकर बसे तुम ध्यान में
शलभ के उन्माद में
दीप के अवसाद में
मलय की तीखी खुनक में
आकर बसे तुम वेग में
भोर के स्वर गान में
आकर बसे तुम प्राणों में ।
कल्पना मिश्रा बाजपेई
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव सर मैं आप से सहमत हूँ / मुझे लगता है कि दोनों तरीके से लिख सकते हैं । जब हम कहते है कि मेरे प्राणों में हलचल है । मेरे प्राण में हलचल है । कौन सा वाक्य सही होगा ???
आप सभी आदरणीय सुधि जनों का हार्दिक आभार /सादर
आ० कल्पना जी
गीत बहुत ही मधुर है . आपको बधाई , एक बात कहूँगा अकसर लोग प्राणों का प्रयोग करते हैं पर क्या किसी के शरीर में एक से अधिक् प्राण होता है . नहीं न , तब 'आकर बसे तुम प्राण में' क्यों न लिखें . सादर
प्रेम के संतृप्त मन में
नेह से डोले बदन में
चारणों की मधुर धुन में
आ बसे तुम शब्दों में | ---- बहुत सुंदर भावों की प्रस्तुति के लिए बधाई आदरणीया कल्पना जी
बहुत सुंदर, आदरणीया कल्पना दीदी. कविता में सहज सादगीपूर्ण भाव बहुत अच्छे लगे. बधाई स्वीकारें
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online