For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुझे अच्छा लगा ....इंतज़ार

तेरी चाहत में
सारी उम्र गलाना अच्छा लगा !
ना पा कर भी
तुझे चाहना अच्छा लगा ! 
लिख लिख के अशआर
तुझे सुनाना अच्छा लगा !
सच कहूँ तो मुझे
ये जीने का बहाना अच्छा लगा !! 


दुप्पट्टा खिसका कर 
चाँद की झलक दिखाना अच्छा लगा !
पास से निकली तो
हलके से मुड़ के तेरा मुस्कुराना अच्छा लगा !
बदली से निकल कर आज
चाँद का सामने आना अच्छा लगा !!


मिलने नहीं आयी मगर
रात सपनों में तेरा आना अच्छा लगा !
ला इलाज ही सही मगर
प्रेम का ये रोग लगाना अच्छा लगा !
तनहा हूँ मगर मुझे
इस तरहां दिल को जलाना अच्छा लगा !! 

**************************************************

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 602

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on May 28, 2015 at 9:41am

सच कहूँ तो मुझे ये जीने का बहाना अच्छा लगा !! वाह..बहुत सुन्दर!!

इस बीच में obo पर कम आ सका इस बीच कई रचनाए छूट गयी!आपकी कमेन्ट के माध्यम से रचना पर आ सका!

मुहब्बत का रंग लिए अल्हड़ सी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय 'इंतजार' सर!

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on May 28, 2015 at 9:01am

आ : ...आप सब का बहुत आभारी हूँ आप की उपस्तिथि और प्रसंशा के लिये ...बहुत दिन के बाद आ पाया हूँ मंच पर इसलिए काफी देर से आप का धन्यवाद कर रहा हूँ .......सादर 

Comment by Madan Mohan saxena on May 20, 2015 at 2:44pm

तेरी चाहत में
सारी उम्र गलाना अच्छा लगा !
ना पा कर भी
तुझे चाहना अच्छा लगा !
लिख लिख के अशआर
तुझे सुनाना अच्छा लगा !
सच कहूँ तो मुझे
ये जीने का बहाना अच्छा लगा !!

अति सुन्दर भाव। हार्दिक बधाई।

Comment by vijay nikore on May 20, 2015 at 4:11am

 अति सुन्दर भाव। हार्दिक बधाई।

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 20, 2015 at 12:03am

वाह! आदरणीय मोहन जी, बहुत सुंदर प्रस्तुति. हार्दिक बधाई

Comment by shree suneel on May 19, 2015 at 11:08pm
.. और आपका ये सब बेलौस कह जाना मुझे अच्छा लगा.
आपको आपकी इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाईयाँ आदरणीय.

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on May 19, 2015 at 10:44pm

सांसारिक प्रेम की अपनी एक अलग ही दुनिया होती है.... 

मनभावन भाव पिरोती अभिव्यक्ति पर बधाई आ० मोहन सेठी जी 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on May 19, 2015 at 4:14pm

आपका यूँ  शरूर में आना अच्छा लगा.

Comment by Tanuja Upreti on May 19, 2015 at 10:04am

सुन्दर प्रस्तुति 

Comment by Hari Prakash Dubey on May 18, 2015 at 10:29pm

तनहा हूँ मगर मुझे
इस तरहां दिल को जलाना अच्छा लगा !! ......बहुत   सुन्दर  रचना   आ. मोहन  सेठी   जी   !  बधाई  ,सादर   

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब, माज़रत ख़्वाह हूँ, आप सहीह हैं।"
5 minutes ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"इस प्रयास की सराहना हेतु दिल से आभारी हूँ आदरणीय लक्ष्मण जी। बहुत शुक्रिया।"
7 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय दिनेश जी। आभारी हूँ।"
7 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"212 1222 212 1222 रूह को मचलने में देर कितनी लगती है जिस्म से निकलने में देर कितनी लगती है पल में…"
7 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सादर नमस्कार आ. ऋचा जी। उत्साहवर्धन हेतु दिल से आभारी हूँ। बहुत-बहुत शुक्रिया।"
7 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। इस प्रयास की सराहना हेतु आपका हृदय से आभारी हूँ।  1.…"
7 hours ago
Mahendra Kumar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, सादर अभिवादन! आपकी विस्तृत टिप्पणी और सुझावों के लिए हृदय से आभारी हूँ। इस सन्दर्भ…"
7 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
8 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी बहुत शुक्रिया आपका संज्ञान हेतु और हौसला अफ़ज़ाई के लिए  सादर"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मोहतरम बागपतवी साहिब, गौर फरमाएँ ले के घर से जो निकलते थे जुनूँ की मशअल इस ज़माने में वो…"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही है आपने मुबारकबाद पेश करता…"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आ० अमित जी…"
9 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service