For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -- दुश्मनों से भी मुहब्बत करना .

2122-1122-22.

अपनी मंज़िल की जो हसरत करना
घर से चलने की भी हिम्मत करना
.
कोई तुझको जो अमानत सौंपे
जान देकर भी हिफ़ाजत करना
.
कहना आसान है करना मुश्किल
दुश्मनों से भी मुहब्बत करना
.
आज बचपन में है वो बात कहाँ
वक़्त बे-वक़्त शरारत करना
.
तेरे भीतर का ख़ुदा जाग उठे
इतनी शिद्दत से इबादत करना
.
सिर्फ कहने को ही तेरा न हो वो
उसके दुख दर्द में शिरक़त करना
.
फ़र्ज़ औलाद का यह होता 'दिनेश'
अपने माँ बाप की ख़िदमत करना
.
मौलिक व अप्रकाशित

Views: 644

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rahul Dangi Panchal on July 16, 2015 at 7:20am
आदरणीय बहुत ही सुन्दर गजल हुई है बधाई स्वीकार करें ।


आज बचपन में है वो बात कहाँ
वक़्त बे-वक़्त शरारत करना
.
तेरे भीतर का ख़ुदा जाग उठे
इतनी शिद्दत से इबादत करना

इन शे'रों ने तो कमाल कर दिया।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 16, 2015 at 3:27am

आदरणीय दिनेश भाई जी बहुत ही उम्दा और बेहतरीन ग़ज़ल हुई है. एक एक शेर कमाल का हुआ है.

आपकी बेहतरीन ग़ज़लों में शुमार होगी ये ग़ज़ल 

इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए दिल से दाद हाज़िर है......और ढेर सारी दुआ भी....


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 3, 2015 at 2:12am

ग़ज़ल की सीधापन भा गया, भाई दिनेशजी. दाद कुबूल कीजिये.

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on June 14, 2015 at 12:19am

तेरे भीतर का ख़ुदा जाग उठे
इतनी शिद्दत से इबादत करना           जिंदाबाद शेर!
.
सिर्फ कहने को ही तेरा न हो वो
उसके दुख दर्द में शिरक़त करना          बेहतरीन!
.
फ़र्ज़ औलाद का यह होता 'दिनेश'
अपने माँ बाप की ख़िदमत करना      बहुत सुन्दर

हार्दिक बधाई! दिनेश सर!

Comment by वीनस केसरी on June 12, 2015 at 11:36pm

बहुत उम्दा ग़ज़ल कही है दिनेश साहब बधाई हो ...

Comment by shree suneel on June 11, 2015 at 5:13pm
सिर्फ कहने को ही तेरा न हो वो
उसके दुख दर्द में शिरक़त करना...ख़ूब
इस ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए बधाई आपको आदरणीय दिनेश जी. सादर
Comment by विनय कुमार on June 11, 2015 at 1:07am

बड़ी प्यारी और खूबसूरत ग़ज़ल कही आपने , बधाई आदरणीय ..

Comment by Samar kabeer on June 10, 2015 at 11:06pm
जनाब दिनेश कुमार जी,आदाब,क्या बात है जनाब,कमाल कर दिया आपने,इस शानदार और कामयाब ग़ज़ल के लिये शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।

"फ़र्ज़ औलाद का यह होता 'दिनेश'"

इस मिसरे को इस तरह कर लें तो बहतर होगा :-

"फ़र्ज़ औलाद का होता है 'दिनेश'"
Comment by Rahul Dangi Panchal on June 10, 2015 at 4:53pm
.
तेरे भीतर का ख़ुदा जाग उठे
इतनी शिद्दत से इबादत करना लाजवाब वाह बहुत खूब
Comment by Madan Mohan saxena on June 10, 2015 at 4:26pm

कोई तुझको जो अमानत सौंपे
जान देकर भी हिफ़ाजत करना

वाह .... बहुत खूबसूरत अहसास पिरोये हैं आपने इस ग़ज़ल में आदरणीय। हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
17 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Monday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"खूबसूरत ग़ज़ल हुई, बह्र भी दी जानी चाहिए थी। ' बेदम' काफ़िया , शे'र ( 6 ) और  (…"
Jul 6
Chetan Prakash commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"अध्ययन करने के पश्चात स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है, उद्देश्य को प्राप्त कर ने में यद्यपि लेखक सफल…"
Jul 6

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on PHOOL SINGH's blog post यथार्थवाद और जीवन
"सुविचारित सुंदर आलेख "
Jul 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post घाव भले भर पीर न कोई मरने दे - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"बहुत सुंदर ग़ज़ल ... सभी अशआर अच्छे हैं और रदीफ़ भी बेहद सुंदर  बधाई सृजन पर "
Jul 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (अलग-अलग अब छत्ते हैं)
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। परिवर्तन के बाद गजल निखर गयी है हार्दिक बधाई।"
Jul 3

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service