For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वंश वृद्धि (लघुकथा)

कवि सम्मेलन के आगाज़ के साथ ही नवांकुर कवि के कविता पाठ करते ही मरघट सा सन्नाटा पसर गया।बामुश्किल नामी कवी ने बात आगे बढ़ाते हुए कहा -
" इन्हें कलम चलानी तो आती नहीं फिर माहौल खराब करने के लिए यहाँ किसने आमन्त्रित किया हैं ?"
" अरे , शर्मा जी इन नवांकुरों को मैंने आमन्त्रित किया हैं ।इन्हें सिखाना भी तो जरुरी हैं।"
" ये केवल नाम बटोरना चाहते हैं ,लगन मेहनत से कोई वास्ता नहीं इनका।इन्हें मंच से हटाया जाय "
"शर्मा जी, ये हमे अपना आदर्श मानते हैं "
" तो हम ही मंच छोड़ देते हैं।"
"नहीं -नहीं आप सब ना जाए लेकिन मैं यह नहीं जानता था की आपका वंश वृद्धि से कोई सरोकार नहीं हैं

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 1162

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on September 16, 2015 at 7:00pm
बहुत सुन्दर आ० बधाई..बस वंशवृद्धि शब्द का प्रयोग मुझे थोड़ा सा खटक रहा है!
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 16, 2015 at 10:34am

अर्चना जी  बहुत ही सुन्दर विषय पर प्रस्तुति आपसे थोडा और समय चाहती थी --रचना कर्म में जल्दबाजी न करें और कई बार पढ़कर उसे माँजना चाहें .

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 15, 2015 at 11:06am

नवाकुरों को स्थापित रचनाकार स्थान  नहीं देते यह सत्य है, सुंदर सन्देश देती लघुकथा के लिए बधाई 

Comment by Archana Tripathi on September 14, 2015 at 11:22pm
हार्दिक आभार आ.sushil sarna जी,रचना को अमूल्य समय देने और साकारात्मक समीक्षा के लिए ।आपके मार्गदर्शन की सदैव आकांक्षी ।
Comment by Sushil Sarna on September 14, 2015 at 12:38pm

आदरणीया अर्चना जी वर्तमान परिस्थिति में नवांकुरों की स्थति का बहुत ही सुंदर आंकलन करती इस सफल लघुकथा की प्रस्तुति के  लिए हार्दिक बधाई । वंशवृद्धि का शीर्षक और उसकी पंच लाईन दोनों ही प्रस्तुति से न्याय कर रहे हैं।  हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया अर्चना जी। 

Comment by Archana Tripathi on August 21, 2015 at 10:18am
वरिष्ठ सुधिजनो की राय के लिए प्रतीक्षारत हूँ। कृपया मार्गदर्शन किजिये ।सादर
Comment by Archana Tripathi on August 8, 2015 at 2:05am
क्षमा करें प्रतिभा पाण्डेय जी,राजनीति में तो वंश वृद्धि के नाम पर अपनी तमाम विरासत सौप दी जाती हैं इसके विपरीत साहित्य में मार्गदर्शन भी उचित नहीं समझते ।समीक्षात्मक टिप्पणी के लिए हार्दिक धन्यवाद।
Comment by Archana Tripathi on August 8, 2015 at 2:00am
आदरणीय रवि प्रभाकर जी,हार्दिक आभार रचना पर अमूल्य समय और समीक्षात्मक टिप्पणी के लिए।
Comment by Archana Tripathi on August 8, 2015 at 1:57am
आदरणीय ॐ प्रकाश जी हार्दिक आभार आपका।
Comment by pratibha pande on August 6, 2015 at 8:23am

राजनीति में वंश वृद्धि आम चलन है और साहित्य में एकदम इससे उलट बात है , एक सटीक विषय को लेकर सशक्त रचना बधाई आपको आ० रचना जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"स्वागतम"
10 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
19 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
19 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service