For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

श्रावणी तीझ के अवसर पर कुछ महकती कह-मुकरियाँ

बन सौभाग्य सँवारे मुझको

सावन घिरे पुकारे मुझको

हाथ पकड़ झट कर ले बंदी

क्या सखि साजन?न सखि मेहंदी

 

उसने हाय! शृंगार निखारा  

प्रेम रचा मन भाव उभारा  

प्रेम राह पर गढ़ी बुलंदी

क्या सखि साजन? न सखि मेहंदी

 

अंग लगे तो मन खिल जाए

खुशबू साँसों को महकाए

प्यारी उसकी घेराबंदी

क्या सखि साजन? न सखि मेहंदी

 

उसमें महक दुआओं की है

उसमें चहक फिजाओं की है

हिमशीतल निर्झर कालिंदी

क्या सखि साजन? न सखि मेहंदी

 

दुआ खिली ज्यों रेशम रेशम

सावन लाया मनहर संगम

रेशा रेशा चिंदी चिंदी

क्या सखि साजन? न सखि मेहंदी

 

सिहरन से भर उठता तन-मन

प्रेम करे जब गुंजन नर्तन

गढ़े लकीरें जैसे विधिना

क्या सखि साजन? न न हिना

 

रंग सहेजे प्यार उकेरे

सपनों के संसार उकेरे

चूमूँ मैं दिन रात सहेली

क्या सखि साजन? नहीं हथेली 

(मौलिक और अप्रकाशित)

Views: 916

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Harash Mahajan on August 24, 2015 at 11:18am

आदरणीय Dr.Prachi Singh जी कह-मुकरियों की परिभाषा से मैं जियादा परिचित तो नहीं हूँ....लेकिन आपके भावों को पढ़ कर दिल से दाद निकले बगैर न रह सकी | कितना लुत्फ़ आता है इन्हें पढने में | इसमें भी रदीफ़ "क्या सखि साजन? न सखि मेहंदी" कितना लयात्मकता से उच्चारण  होता है | दिल को लुभा गया ...एक सुंदर महक ! ढेरों दाद आपकी इस सुंदर पेशकश पर | साभार !!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 22, 2015 at 10:26pm

मेहंदी पर रचित कहकारियों को सराह स्वीकार करने के लिए सभी सुधि पाठक वृन्दों का हृदयतल से आभार.

सादर.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 22, 2015 at 5:41pm

मेहदी पर एक साथ इतनी मुकरिया आप्की  कारर्यित्री प्रतिभा का प्रमाण हैं. सादर  आदरणीया .

Comment by kanta roy on August 21, 2015 at 9:10am
बडी ही सुंदर प्यारी - प्यारी सी कह मुकरियाँ हुई है । मेहंदी में प्रीतम के दुलार प्यार की बास सुगंध । सुवासित हिना से सजी हाथों को बार -बार चुमना । वाह !!! आदरणीया प्राची जी ,सावन का अनमोल उपहार हुई है ये कह मुकरियाँ । बधाई !!!!!!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 20, 2015 at 6:35am

आदरणीया प्राची जी , मेहन्दी को कितने और कैसे कैसे बयान किया है आपने , पढ कर दंग हूँ । इन महकती कह्मुकरियों के लिये दिली बधाइयाँ ।

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on August 19, 2015 at 12:29pm

रंग सहेजे प्यार उकेरे

सपनों के संसार उकेरे

चूमूँ मैं दिन रात सहेली

क्या सखि साजन? नहीं हथेली ...अनुपम प्रस्तुति आदरणीया डा. प्राची जी!

Comment by pratibha pande on August 18, 2015 at 8:36pm

सुगंध से भरी ,ठन्डे एहसास से भरी  ,बहुत सुन्दर रचना  बधाई आपको आ० प्राची जी


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on August 18, 2015 at 8:33pm

प्रस्तुत कह मुकरियों में मेहंदी की महक को महसूस कर अभिव्यक्ति सराहने  के लिए आदरणीय नरेंद्र चौहान जी , नीरज मिश्रा जी , लक्ष्मण धामी जी , विजय जी , आ० मिथिलेश जी , आ० राजेश जी ..आप सबका  बहुत बहुत धन्यवाद 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 18, 2015 at 7:16pm

सुन्दर हिना की तरह ही महकती कह्मुकारियाँ ...बहुत- बहुत बधाई प्रिय प्राची जी 

Comment by vijay nikore on August 18, 2015 at 1:23pm

अति सुन्दर ! सभी कह-मुकरियाँ पढ़ कर आनन्द आया, पर विशेषकर..

//बन सौभाग्य सँवारे मुझको

सावन घिरे पुकारे मुझको

हाथ पकड़ झट कर ले बंदी

क्या सखि साजन?न सखि मेहंदी//

हार्दिक बधाई, आदरणीया ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय रिचा यादव जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
5 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"अति सुंदर ग़ज़ल हुई है। बहुत बहुत बधाई आदरणीय।"
8 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"मेरी कोशिशें हैं इधर धीरे धीरे उधर हो रहा है असर धीरे धीरे। गए उनके दिल में उतर धीरे धीरे हुए वो…"
16 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"अदरणीय जयहिंद जी नमस्कार  अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर "
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"अदरणीय दयाराम जी नमस्कार  ग़ज़ल अच्छी हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिए , बाक़ी गुणीजनों ने कह दिया…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय अजेय जी नमस्कार  ग़ज़ल अच्छी कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए गुणीजनों  की बातें कबीले…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार  अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए  गुणीजनों की…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय दयाराम जी  बहुत शुक्रिया आपका  सादर "
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण जी  बहुत शुक्रिया आपका  सादर "
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय पूनम जी नमस्कार  अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर "
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"गिरह का शेर अच्छा हुआ।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
5 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service