For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आसमां तक वही गया होगा (ग़ज़ल)

(2122  1212  22)

आसमां तक वही गया होगा..

हो के बेख़ौफ़ जो उड़ा होगा..

-

राह तू जब तलक निकालेगा,

सूर्य तब तक तो ढल चुका होगा..

-

साँच को आंच ना कभी आती,

ये भी तुम ने कहीं सुना होगा..

-

हम नज़र किस तरह मिलायेंगे,

जब कभी उन से सामना होगा..

-

राह ईमान की चुने ही क्यों,

कौन तुमसे बड़ा गधा होगा..

-

ठोकरें ना गिरा सकीं उस को,

शख़्स तूफां में वो पला होगा..

-

देख लो कर के प्यार का सौदा,

रात-दिन चौगुना नफ़ा होगा..

~

~

--जयनित--

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 526

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जयनित कुमार मेहता on September 12, 2015 at 5:23am

आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 11, 2015 at 10:40am

आदरणीय जयनित भाई , बहुत खूबसूरत गज़ल कही है , सभी अशआर  सुन्दर हुये हैं , आपको दिली बधाइयाँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 10, 2015 at 10:45pm
बहुत बढ़िया जयनित जी बधाई। और मैं आदरणीय राहुल जी की बात से सहमत हूँ
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on September 10, 2015 at 8:57am

हम नज़र किस तरह मिलायेंगे,
जब कभी उन से सामना होगा.

ठोकरें ना गिरा सकीं उस को,
शख़्स तूफां में वो पला होगा..

वाह! बेहतरीन...हार्दिक बधाई!

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 9, 2015 at 5:46pm

अच्छा प्रयास है आदरणीय जयनित जी, दाद कुबुलें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on September 9, 2015 at 5:20pm

बढ़िया प्रस्तुति, छोटी बह्र में बढ़िया शेर निकाले है आपने. इस प्रस्तुति पर बहुत बहुत बधाई 

Comment by Rahul Dangi Panchal on September 9, 2015 at 2:22pm
आदरणीय जयनित जी अच्छी गजल हुई ।

राह ईमान का चुने ही क्यों,
कौन तुमसे बड़ा गधा होगा। राह मेरे अनुसार स्त्रिलिंग है इसके साथ "का" उचित नहीं।

गजल में ' ना' का प्रयोग निषेध है । वास्तव में ना को ई शब्द ही नहीं है वास्तविक शब्द " न" है । पर ना भी खूब प्रचलित हो चुका है।

अच्छी गजल हेतु बधाई ।
Comment by Rahul Dangi Panchal on September 9, 2015 at 2:19pm
आदरणीय भाई जयनित जी अचछे शे'र हुए।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"यह लघु कविता नहींहै। हाँ, क्षणिका हो सकती थी, जो नहीं हो पाई !"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
Monday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service