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जाता नहीं अब कोई भी दर्द दवा लेकर (ग़ज़ल)

(221 1222 221 1222)

जाता नहीं अब कोई भी दर्द दवा लेकर..
ज़ख्मों को भरा दिल के,यादों का नशा लेकर..
-
अब तक न मेरे फ़न को पहचान सके हैं जो,
फिर बाद में ढूंढेंगे वो मुझको दिया लेकर..
-
फीके सभी पकवानों के स्वाद हो जाते हैं,
खाता है नमक रोटी, जब भी वो मज़ा लेकर..
-
खोले खिड़की बैठा मैं देख रहा रस्ता,
शायद पहुँचे, कोई पैगाम हवा लेकर..
-
न ढूंढ सकेगा सारी उम्र खुदा को 'जय',
फिर बोल करेगा क्या, तू उसका पता लेकर..
~
~
-जयनित कुमार वर्मा
अररिया,बिहार
(मौलिक व अप्रकाशित)

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 9, 2015 at 11:23am

भाई, आपकी कोशिश अच्छी है. आप ग़ज़ल पर उपलब्ध आलेख को पढ़ते रहें. शब्दों के वज़न से वाकिफ़ होते जायेंगे. जैसे ’खिड़की’ शब्द का वज़न ११२ न हो कर २२ होगा. ऐसा क्यों होत अहै इसे जानने की कोशिश करें.. 

शुभेच्छाएँ


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 8, 2015 at 11:02pm
इस प्रयास हेतु बधाई शेष जनाब समर साहब ने कह ही दिया है

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on September 8, 2015 at 6:35pm
आदरणीय जयनित जी इस प्रस्तुति पर बधाई। आपको आदरणीय समर कबीर जी जैसे उस्ताद से बढ़िया मार्गदर्शन मिल गया है उनकी इस्लाह हमेशा फायदेमंद होती है। सादर
Comment by Madan Mohan saxena on September 8, 2015 at 5:22pm

फीके सभी पकवानों के स्वाद हो जाते हैं,
खाता है नमक रोटी, जब भी वो मज़ा लेकर..
-
खोले खिड़की बैठा मैं देख रहा रस्ता,
शायद पहुँचे, कोई पैगाम हवा लेकर..

अति सुंदर

Comment by Harash Mahajan on September 8, 2015 at 1:19pm

"अब तक न मेरे फ़न को पहचान सके हैं जो,
फिर बाद में ढूंढेंगे वो मुझको दिया लेकर.." अति सुंदर अहसास......बधाई सिकार करें ! सादर !!

Comment by shree suneel on September 8, 2015 at 12:57am
अच्छी प्रस्तुति आदरणीय जयंत कुमार वर्मा जी. बधाई आपको. सादर.
Comment by Samar kabeer on September 7, 2015 at 10:49pm
जनाब जयनित कुमार वर्मा जी,आदाब,तीसरे,चोथे और पाँचवे शैर की बह्र एक बार और देख लें ।
Comment by जयनित कुमार मेहता on September 7, 2015 at 8:13pm

हार्दिक आभार, आपलोगों का..

Comment by Ravi Shukla on September 7, 2015 at 2:44pm

आरदणीय जयनति जी सुन्‍दर प्रस्‍तुति हेतु बधाई ।

Comment by jyotsna Kapil on September 7, 2015 at 12:26pm
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल हेतु बधाई स्वीकार करें आ.जयनित कुमार वर्मा जी

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