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धर्मान्धों की नगरी में (ग़ज़ल)

बह्र : २२ २२ २२ २२ २२ २२ २२ २

 

इंसाँ दुत्कारे जाते हैं धर्मान्धों की नगरी में

पर पत्थर पूजे जाते हैं धर्मान्धों की नगरी में

 

शब्दों से नारी की पूजा होती है लेकिन उस पर

ज़ुल्म सभी ढाये जाते हैं धर्मान्धों की नगरी में

 

नफ़रत फैलाने वाले बन जाते हैं नेता, मंत्री

पर प्रेमी मारे जाते हैं धर्मान्धों की नगरी में

 

दिन भर मेहनत करने वाले मुश्किल से खाना पाते

ढोंगी सब खाये जाते हैं धर्मान्धों की नगरी में

 

आँख मूँद जो करें भरोसा सच्चे भक्त कहे जाते

बाकी सब कोसे जाते हैं धर्मान्धों की नगरी में

 

गली गली अंधेर मचा है फिर भी जन्नत की ख़ातिर

सारे के सारे जाते हैं धर्मान्धों की नगरी में

------------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

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Comment by गिरिराज भंडारी on September 11, 2015 at 11:10am

क्या बात है आदरणीय , बहुत कठिन रदीफ ले कर आपने जिस सरलता से निभा दिया है , काबिले तारीफ है । बेहतरीन ग़ज़ल के लिये आपको दिली बधाइयाँ ।

Comment by Samar kabeer on September 10, 2015 at 11:15pm
जनाब धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी,आदाब,वाह,बहुत ख़ूब,शानदार,शैर दर शैर दाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।
Comment by Dr. Vijai Shanker on September 10, 2015 at 7:14pm
सत्य - वचन। बधाई , आदरणीय धर्मेन्द्र सिंह जी , सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 10, 2015 at 7:05pm
आदरणीय धर्मेंद्र जी आपकी ग़ज़लगोई का अपना लहजा है इस ग़ज़ल में भी आपकी विशेषता दिखती है। इस ग़ज़लके लिये आपको हार्दिक बधाई
Comment by Shyam Narain Verma on September 10, 2015 at 5:52pm
सुंदर भाव लिए, उत्तम रचना के लिए बधाई ....
Comment by Ravi Shukla on September 10, 2015 at 5:51pm

आरणीय धर्मेन्‍द्र जी बधाई सुन्‍दर ग़ज़ल हुई है रदीफ ही रदीफ सानी में है फिर भी आपने कथ्‍य को बहुत ही खूबसूरती से उसमें पिरो लिया है शेर दर शेर दाद कुबुल करें ।

Comment by दिनेश कुमार on September 10, 2015 at 5:12pm
बेहतरीन ग़ज़ल के लिए दिल से दाद क़बूल करें आदरणीय भाई धर्मेंद्र जी। वाह वाह

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on September 10, 2015 at 3:03pm

आदरणीय बड़े भाई धर्मेन्द्र जी, बहुत ही शानदार ग़ज़ल हुई है. काफिया का बढ़िया प्रयोग देखने मिला और रदीफ़ भी क्या खूब ली है. इस रदीफ़ में बहुत बढ़िया बढ़िया शेर निकाले है. आपको इस शानदार ग़ज़ल पर शेर दर शेर दाद के साथ दिल से मुबारकबाद.

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