For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तू जीता है,मगर ज़िंदा नहीं है (ग़ज़ल)

1222 1222 122

अगर दिल में तेरे करूणा नहीं है
तू जीता है, मगर ज़िंदा नहीं है

वो क्या समझे किसी की अहमियत को
कि जिसने कुछ,कभी खोया नहीं है

तेरी आँखों के मयखाने में बैठा
कहे ये दिल,कोई तुझ सा नहीं है

उगाते हैं जो दाना,उनके घर में
कभी चावल,कभी आटा नहीं है

मिलेगा फल यहीं कर्मों का तेरे
अलग कोई,कहीं दुनिया नहीं है

मेरी मंज़िल खड़ी है जिस जगह पर
वहां तक रास्ता जाता नहीं है
========================
(मौलिक व अप्रकाशित)

जयनित कुमार मेहता

Views: 794

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जयनित कुमार मेहता on January 14, 2016 at 8:31pm
ग़ज़ल आपको अच्छी लगी, ये मेरे लिए बहुत ख़ुशी की बात है आदरणीय गिरिराज भंडारी जी।
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on January 13, 2016 at 11:20am

उगाते हैं जो दाना,उनके घर में
कभी चावल,कभी आटा नहीं है | -- बहुत  खूब 

मिलेगा फल यहीं कर्मों का तेरे
अलग कोई,कहीं दुनिया नहीं है | -- लाजवाब कहन | उम्दा  गजल  के लिए बहुत बुहत बधाई 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on January 13, 2016 at 9:00am

अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई ..

Comment by ajay sharma on January 12, 2016 at 10:11pm

मिलेगा फल यहीं कर्मों का तेरे
अलग कोई,कहीं दुनिया नहीं है.........wah wah wah 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 12, 2016 at 4:17pm

आदरनीय जयनित भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है , सभी अशआर अच्छे लगे , आपको हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by जयनित कुमार मेहता on January 11, 2016 at 6:15pm
आदरणीय समर कबीर जी, आपकी प्रतिक्रिया काफी उत्साहवर्धक और आश्वस्तकारी होती है.. हार्दिक धन्यवाद आपको।।
Comment by जयनित कुमार मेहता on January 11, 2016 at 6:14pm
ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका आभारी हूँ, आ. राम जी।
Comment by जयनित कुमार मेहता on January 11, 2016 at 6:13pm
बहुत-बहुत धन्यवाद आपको, आ. श्याम नारायण वर्मा जी।
Comment by Samar kabeer on January 11, 2016 at 5:50pm
जनाब जयनित कुमार मेहता जी आदाब,बहुत अच्छी ग़ज़ल से नवाज़ा आपने मंच को,बधाई स्वीकार करें |
Comment by Ram Ashery on January 11, 2016 at 4:44pm

अति सुंदर रचना अंतर मन की गहराई से आपको बहुत बहुत बधाई स्व्वेकर हो  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
8 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Jul 12
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service