For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

१२२२/१२२२/१२२२/१२२२
.
कभी बदनाम गलियों में भटकती हैं तमन्नाएँ,
कभी खुद की निगाहों में खटकती हैं तमन्नाएँ.
.
हवस की मकड़ियाँ बुनती है दिल में जाल हसरत के,
जहाँ मौका मिला, आकर, अटकती है तमन्नाएँ.
.
तमन्नाओं का अंधड़ रोक पाना है बहुत मुश्किल,
मगर दिल में बसा हो रब, ठिठकती हैं तमन्नाएँ.
.
कोई इंसान जब अपनी ख़ुदी को जीत लेता है,
तो फिर क़दमों में उस के, सर पटकती हैं तमन्नाएँ.
.
सफ़र जब जिस्म से बाहर का करने रूह चलती है,
चिता की लकड़ियाँ बन कर चटकती हैं तमन्नाएँ.
.
निलेश "नूर"
मौलिक/ अप्रकाशित

Views: 632

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on January 29, 2016 at 2:56pm
बहुत ख़ूब।
Comment by Samar kabeer on January 29, 2016 at 2:51pm
जनाब निलेश'नूर'जी आदाब,शानदार ग़ज़ल,बधाई आपको !
Comment by TEJ VEER SINGH on January 29, 2016 at 1:34pm

हार्दिक बधाई आदरणीया नीलेश  जी!बहुत खूबसूरत गज़ल!आखिरी शेर तो गज़ब ढा रहा है !

सफ़र जब जिस्म से बाहर का करने रूह चलती है,
चिता की लकड़ियाँ बन कर चटकती हैं तमन्नाएँ.!

पुनः बधाई!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 29, 2016 at 12:44pm
तमन्नाओं के सच को समक्ष करते बहुत शानदार अशआर कहे हैं आ0 नीलेश जी, बहुत बहुत बधाई
Comment by Ravi Shukla on January 29, 2016 at 10:40am

वाह वाह निलेश नूर जी बहुत बढि़या गजल कही है आपने तमन्‍नओं को बहुत ही अच्‍छे तरीके से बयान कर दिया शेर दर शेर मुबारक बाद कुबूल करें ।

Comment by दिनेश कुमार on January 28, 2016 at 9:27pm
बेहतरीन ग़ज़ल आ.निलेश भाई। आखिरी दो शेर बहुत ज़बरदस्त। मुबारकबाद।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service