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जिसे राणा सा होना था वो जाफर बन गया यारो
सियासत करके गड्ढा भी समंदर बन गया यारो ।1।
हमारी सीख कच्ची थी या उसका रक्त ऐसा था
पढ़ाया पाठ गौतम का सिकंदर बन गया यारो ।2।
करप्सन और आरक्षण का रूतबा देखिए ऐसा
फिसड्डी था जो कक्षा में वो अफसर बन गया यारो ।3।
तरक्की है कि बर्बादी जरा सोचो नए युग की
जहाँ बहती नदी थी इक वहाँ घर बन गया यारो ।4।
फिरंगी तो गए घर से मगर पहना के फितरत यूँ
पहन पोशाक गांधी की वो डायर बन गया यारो ।5।
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मौलिक व अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी ‘मुसाफिर’
Comment
आ0 भाई रामबली जी, प्रशंसा के लिए आभार ।
आदरणीय लक्षमण जी बढि़या ग़ज़ल कही है और व्यंग भी अच्छे है सिस्टम पर बधाई
हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण धामी जी!बेहतरीन गज़ल!
जनाब लक्ष्मण भाईजी! बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है. मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ. मेरे ख्याल से 'गड्ढा' को 'नाला' कर ले तो बात साफ हो जायेगी. सादर
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