For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आखिर क्यों?(अतुकांत)-रामबली गुप्ता

वो समुद्रतट की
चांदनी रातें
सुहानी बातें
रजनी का रजनीकर के
स्नेहिल ज्योत्स्ना में
नहाना
भीगना।
प्रेम-सिक्त
पुलकित
यामिनी के
निःशब्दता में
चुम्बन
आलिंगन
रति-परिणय, आहा!
हृदय में
उमड़ते
लहराते
गहरे प्रेमधि का
विश्वास
और
गंभीर जलधि की
उपेक्षा
पर आज
वो दृश्य नही
प्रेमधि नही
सिर्फ अश्रुधि
वही रजनी
रजनीकर
निःशब्दता
किन्तु
सर्प की भाँति डंसता हुआ
हृदय-शूल-सा
 कुरेदता
प्रिये! क्यों?
आखिर क्यों?

रचना-रामबली गुप्ता
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 678

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 7, 2016 at 7:40pm

दो तुलनात्मक द्रश्यों को बिम्बात्मक शैली में प्रस्तुत किया है रचना में मुझे तो बहुत अच्छी लगी बाकी विद्वद्जन मार्ग दर्शन कर चुके हैं

जिस पर आप संज्ञान ले चुके हैं आपको बहुत बहुत बधाई आद० रामबली जी | 

Comment by रामबली गुप्ता on August 6, 2016 at 3:40pm
आपका बहुत बहुत आभार आद0 गोपाल नारायन जी, आपके सुझावों से सदा लाभान्वित होता रहूँ इसलिए आपसे आग्रह है की अपनी कृपा-दृष्टि हमेशा बनाये रखें। मैंने अलग से सुधार कर लिया है।सादर नमन आपको
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 6, 2016 at 2:12pm

आ० राम बली जी , भाषा विज्ञान में एक  term है - अर्थ संकोच  (Contraction of meaning ).  विस्तृत अर्थों के वाचक शब्द  जब भाषागत परिवर्तन के कारण संकुचित अर्थों में प्रयुक्त होने लगते हैं तो इस प्रक्रिया को अर्थ संकोच  कहा जाता है . महर्षि यास्क ने  अपनी कृति 'निरुक्तम 'में वस्तुओं के नामकरण पर विचार करते हुए लिखा है  की गो, अश्व, पृथिवी  आदि शब्द  अत्यंत विस्तृत अर्थ के वाचक हैं परन्तु वर्तमान समय मे ये किसी अर्थ विशेष में रूढ़ हो गए हैं जिन्हें हम सब जानते हैं . ' गच्छतीति  गौ:' इस  व्युत्पत्ति के अनुसार चलने वाले को गाय कहते हैं . मनुष्य तथा पशु पक्षी भी  चलते हैं पर उन्हें गाय नहीं कहा जाता ,. कहने का तात्पर्य यह है कि  प्रयोग हमेशा लोक व्यवहार के अनुसार होता है , व्युत्पत्ति  के आधार पर नहीं . यही अर्थ संकोच है .  अर्थ संकोच के कुछ उदाहरणों में  जलधि , वारिधि , नीरधि आदि शब्द भी  है  इनके अनुकरण पर हम प्रेमधि और अश्रुधि नहीं कर्र सकते . आप विद्वान्  कवि  है इसलिए इतना कहने का साहस  कर सका . सादर .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 6, 2016 at 2:09pm

आप अभी छान्दसिक रचनाओं पर ही ध्यान केन्द्रित रखें तो आपका अभ्यासकर्म विन्दुवत रहेगा. अतुकान्त रचनाओं के विषयवस्तु या तो बहुत बदले हुए होते हैं या उनकी मूल दशा वैचारिक अधिक हुआ करती है न कि शब्दों और भावों का ललित संयोजन.

शुभेच्छाएँ

Comment by रामबली गुप्ता on August 6, 2016 at 1:58pm
हृदय से आभार आद0 सौरभ सर। यह अतुकांत पर मेरा पहला प्रयास है। इस संदर्भ में यदि कुछ और स्पष्ट करें तो अभ्यासकर्म में कुछ बेहतर मार्गदर्शन मिल सके।सानुरोध
Comment by रामबली गुप्ता on August 6, 2016 at 1:55pm
सादर आभार आदरेया कल्पना जी

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 6, 2016 at 1:48pm

ऐसी प्रस्तुतियाँ अभ्यासकर्म का हिस्सा है. वस्तुतः लेखन और पठन साथ-साथ चलें, आदरणीय राजबली जी.  लेखन हेतु विषयवस्तु ही नहीं, लेखकीय शिल्प तथा शैली भी स्पष्ट होती है. 

शुभकामनाएँ 

 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 4, 2016 at 3:17pm
वाह । सुन्दर रचना आदरणीय । हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
10 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
yesterday
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service