गाय हमारी माता है
हमको कुछ नहीं आता है..
हमको कुछ नहीं आता है
कि, गाय हमारी माता है !
गाय हमारी माता है
और हमको कुछ नहीं आता है !?
जब गाय हमारी माता है
हमको कुछ क्यों नहीं आता है ?
गाय हमारी माता है
फिरभी हमको कुछ नहीं आता है !
फिर क्यों गाय हमारी माता है..
जब हमको कुछ नहीं आता है ?
तो फिर, गाय हमारी कैसी माता है
कि हमको कुछ नहीं आता है ?
चूँकि गाय हमारी माता है..
क्या इसलिए हमको कुछ नहीं आता है ?
यानी, हमको कुछ नहीं आता है
इसलिए कि गाय हमारी माता है ?
या फिर, गाय हमारी माता है
इसके आगे हमको कुछ आता ही नहीं है..
भाई, ये गाय हमारी कैसी माता है ?
कि, हमको कुछ आता-जाता ही नहीं है ?
गाय हमारी माता है भी ?
क्योंकि हमको तो कुछ आता ही नहीं है !
गाय हमारी माता है
अब गाय भला हमारी कैसी माता है ?
हमको कुछ नहीं आता है..
हमको कुछ क्यों नहीं आता है ?
या फिर, गाय हमारी माता है..
इसके अलावा हमको सब कुछ आता है !
या, गाय हमारी माता है..
इसके अलावा हमको कुछ नहीं आता है !
या, न गाय हमारी माता है
न हमको कुछ आता-जाता है !
या, गाय हमारी उतनी ही माता है
जितना हमको आता और भाता है !!
या, गाय हमारी कैसी माता है,
ये हमको खूब समझ में आता है !
या, गाय हमारी कितनी माता है
ये हमको ही नहीं सब को खूब समझ में आता है !
**************
--सौरभ
(मौलिक और अप्रकाशित)
Comment
या, गाय हमारी उतनी ही माता है
जितना हमको आता और भाता है !!
या, गाय हमारी कैसी माता है,
ये हमको खूब समझ में आता है !
या, गाय हमारी कितनी माता है
ये हमको ही नहीं सब को खूब समझ में आता है !
इतनी सहज पंक्तियों से रचना का अगाज़ हुआ और अंत तक पहुँचते पहुँचते पंक्तियाँ कितनी गंभीर हो गई ...इस विषय पर गंभीरता से विचार ज़रूरी है और आदरणीय सौरभ सर आपने रचना को जो विस्तृत आयाम दिया वह काबिले तारीफ है ।
वैसे अब सीरियसली ....गाय को अगर माता मानते हैं तो कितना मानते हैं जो पूजनीय हैं पूजते भी हैं किन्तु वास्तविकता में उनके लिए क्या करते हैं हम ये विचारणीय प्रश्न है | बहुत बहुत बधाई आपको आद० सौरभ जी इस चेतना को जगाने के लिए |
कल ही खबर देखी जयपुर की गौशाला में गाय हमारी माता के हाल की।इस प्रस्तुति ने यक्ष प्रश्नों को उभारा है। और उत्तरों से उम्दा कटाक्ष किया है। सादर नमन श्रध्देय सौरभ सर।
या, गाय हमारी कितनी माता है
ये हमको ही नहीं सब को खूब समझ में आता है !
वाह आदरणीय सौरभ सर वाह .... आज की ज्वलंत समस्या .... आज का ज्वलंत प्रश्न और आज के ज्वलंत प्रश्न का गहन और गंभीर उत्तर ... नमन आपकी लेखनी और विषय को प्रस्तुत करने का निराला अंदाज़ .... यूँ तो हैं दुनिया में सुख़नवर बहुत अच्छे , कहते हैं कि सौरभ (ग़ालिब) का है अंदाज़े बयां और ... मंच पर आपकी लेखनी जब भी कुछ सृजन करती हैं सदैव उसमें सीखने के लिए कुछ न कुछ अवश्य होता है। ... आज आपने एक विषय एक भाव को किस तरह अपने लक्ष्य तक पहुंचाया है , सबके सीखने के लायक है। न दुरूह शब्द, न दुरूह प्रस्तुति का संगठन और न ही दार्शिनकता .... . सर इस प्रस्तुति के लिए दिल से बधाई बधाई बधाई स्वीकार करें।
आदरणीय गिरिराज भाई, आपकी सुधी दृष्टि ने इस प्रस्तुति में कुछ आयाम देखे इस हेतु हार्दिक धन्यवाद.
सादर
आदरणीया कल्पना जी, रचना के अनुमोदन हेतु हार्दिक धन्यवाद
आदरनीय सौरभ भाई , सीधी सरल भाषा मे गउ माता से सम्बन्धित बगुत गहरे प्रश्न खड़े किये हैं आपनें , जिसका उत्तर हर गाय प्रेमी को जानना ही चाहिये । इस गंभीर रचना के लिये हार्दिक बधाई आपको ।
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