For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नई बहू राधिका को कुछ समय ही ससुराल में बीता था कि राधिका ने देखा कि उसके ससुर देवीप्रसादजी बडे़ शांत स्वभाव वाले, मिलनसार और कर्मठता की जीती-जागती तस्वीर हैं। ससुर जी के इस व्यक्तित्व ने राधिका के ऊपर गहरा प्रभाव डाला।  देवीप्रसादजी की उम्र लगभग अस्सी से भी अधिक हो चुकी थी। लेकिन उनका शरीर चुस्ती -स्फूर्ति का बेजोड़ नमूना था। वे हमेशा घर का सारा काम करते, उठा-पटक करते, घर की चीजों को संभालते। दिन-दिन भर बगिया के झाड़- झंखड़ हटाते, पौधों को पानी देते कुल मिलाकर देवीप्रसाद राधिका को हमेशा काम करते दीखते। कभी थकते नहीं। राधिका से आखिर रहा नही गया। एक दिन बोल ही पडी़:

“बाबूजी, मैं जब से आपके घर में आई हूँ, आपको हमेशा काम करता ही पाया है। आप कुछ न कुछ करते ही रहते हैं आप थकते नहीं?”
देवीप्रसादजी चेहरे पर संतोष के भाव लाकर बोले:

“बेटी! तूने ठीक कहा। यह शरीर हमेशा कुछ करता रहे तो ही इसकी शोभा है, वरना आराम की दीमक लग गई तो यह सड़ जायेगा। मैं अपनी संतानों के सामने जीते जी इस शरीर को सड़ता हुआ नही देख सकता।”
राधिका को देवीप्रसादजी का आशय अच्छी तरह से समझ में आ गया था।

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 595

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohammed Arif on September 11, 2016 at 8:39pm

परमश्रद्धेय आदाब! लघुकथा पसंद आई
लेखन सार्थक हुआ, धन्यवाद!

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 1, 2016 at 9:46pm
बहुत बढ़िया तथ्य व कथ्य के साथ बेहतरीन रचना के लिए तहे दिल से बहुत बहुत मुबारकबाद मोहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहब। आपकी अन्य लघुकथायें भी पढ़ने का मन हो रहा है!
Comment by pratibha pande on September 1, 2016 at 7:39pm

बहुत अच्छी कथा ... कुछ नहीं करने से शरीर ही नहीं सोच में भी दीमक लग जाती है... हार्दिक बधाई प्रेषित है  आदरणीय  मोहम्मद आरिफ जी  

Comment by Nita Kasar on September 1, 2016 at 2:29pm
संदेशप्रद कथा के लिये बधाई आपको आद०मोहम्मद आरिफ़ जी ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 31, 2016 at 7:36pm

बहुत अच्छी लघु कथा एक सार्थक सीख देती हुई बहुत बहुत बधाई आपको आद०  आरिफ़ साहिब जी 

Comment by Samar kabeer on August 31, 2016 at 6:15pm
जनाब मो.आरिफ़ साहिब आदाब,"आराम है हराम"बहुत बढ़िया लगी आपकी लघुकथा,दिल से बधाई स्वीकार करें । ओबीओ मंच पर आपका स्वागत है ।
Comment by Sushil Sarna on August 31, 2016 at 2:15pm

आदरणीय  Mohammed Arif साहिब प्रस्तुति में आपने वर्तमान को जीवंत करने का प्रयास किया है।
मैं अपनी संतानों के सामने जीते जी इस शरीर को सड़ता हुआ नही देख सकता।”गहन भावों की इस पंच लाईन ने कथा के भाव पक्ष को एक उठाव दिया है। इस संदेशात्मक लघुकथा की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
6 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service