For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

221 1222  221 1222 

 

तू यार बसा मन में  दिलदार बसा मन में

हद छोड़ हुआ अनहद विस्तार सजा मन में     

 

आकाश सितारों में जग ढूँढ रहा तुझको

 तू मेघप्रिया बनकर है कौंध रहा मन में

 

झंकार रही पायल स्वर वेणु प्रवाहित है 

आभास हृदय करता है रास रचा मन में

 

तू कृष्ण हुआ प्रियतम वृषभानु कुमारी मैं 

तन काँप उठा मेरा अभिसार हुआ मन मे

 

आवेश भरा विद्युत है धार प्रखर उसकी

आलोक स्वतः बिखरा जब तार छुआ मन में

 

जब चाँद हँसा करता जब रात मधुर होती

तू नींद चुरा लेता सौ द्वंद मचा मन में

 

रस सोम पिला तूने सब लूट लिया मेरा

‘शृंगार’ कहाँ अब है ‘निर्वेद’ धँसा मन में

 

मेघप्रिया /घनप्रिया - बिजली

 

(मौलिक /अप्रकाशित )

 

 (मौलिक व अप्रकाशित )

 

Views: 683

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 3, 2016 at 12:17pm

आ० निगम जी , आवेश भरी विद्युत  ही सही है  सादर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on September 2, 2016 at 10:59pm

आदरणीय गोपाल नारायन जी, अति उत्तम गजल ने मुग्ध कर दिया. बधाइयाँ 

आवेश भरा विद्युत  इस पंक्ति में मुझे शंका है कि भरी  होना चाहिए, कृपया समाधान करने का कष्ट करेंगे 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 2, 2016 at 9:43am

आ. बड़े भाई गोपाल जी , सलाह का मान रखने के लिये आपका आभार ।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 2, 2016 at 8:52am

आ० अनुज , बहुत सही मार्ग दिखाया आपने . मैं इसका संशोधन अवश्य करूंगा . सादर .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 1, 2016 at 10:22pm

आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , बहुत अच्छी गज़ल हुई है , दिल से बधाइयाँ स्वीकार करें ।

सौदामिनि    को आपनी  = 22 11 लिया है  मेरे खयाल से ये ग़लत है  ,  222 लिया जाना सही रहेगा । सोच के देखियेगा ।

Comment by रामबली गुप्ता on September 1, 2016 at 6:33pm
वाह वाह और सिर्फ वाह हर शेर अपने में उम्दा भावों को लिए हुए है। आकाश भर बधाई लीजिये।सादर
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 1, 2016 at 5:13pm
इस भावपूर्ण गज़ल के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय ।
Comment by Samar kabeer on August 31, 2016 at 5:53pm
जनाब डॉ,.गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
Comment by Sushil Sarna on August 31, 2016 at 2:02pm

रस सोम पिला तूने सब लूट लिया मेरा
‘शृंगार’ कहाँ अब है ‘निर्वेद’ धँसा मन में

वाह आदरणीय डॉ. गोपाल जी भाई साहिब ... मन मोहते भावों की अप्रतिम प्रस्तुति। इस अद्भुत शाब्दिक सौंदर्य को निखरती ग़ज़ल के लिए दिल से बधाई स्वीकार करें।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on August 31, 2016 at 11:52am

वाह वाह आदरणीय डॉ गोपाल नारायण श्रीवास्तव सर बहुत खूब, बेमिसाल ग़ज़ल कही है आपने बहुत बहुत बधाई आपको

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . .तकदीर
"आदरणीय अच्छे सार्थक दोहे हुए हैं , हार्दिक बधाई  आख़िरी दोहे की मात्रा फिर से गिन लीजिये …"
14 hours ago
सालिक गणवीर shared Admin's page on Facebook
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर   होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर । उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service