For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बलात्कार पर कर रहे मोदी बिल को पेश ।
दलित नही महिला अगर होगा हल्का केस ।।

ब्लात्कार में भेद कर तोड़ा है विश्वास ।
अच्छे दिन अब लद गए टूटी सबकी आस ।।

कितना सस्ता ढूढ़ता कुर्सी का वह मन्त्र ।
मोबाइल के दाम में बिक जाता जनतन्त्र ।।

सड़को पर इज्जत लुटे मथुरा भी हैरान ।
न्याय बदायूं मांगता सब उनके शैतान ।।

नए सुशासन दौर में जनता है गमगीन ।
सौगातों में ला रहे वही सहाबुद्दीन ।।

छूटा गुंडा जेल से जिसका था अनुमान ।
जंगल राजा दे गया चिर परिचित फरमान ।।

न्याय पालिका मौन है , मौन हुई सरकार ।
अपराधी बेख़ौफ़ सब कैसा भ्र्ष्टाचार ।।

झाड़ू का विश्वास क्या गन्दा इसका कृत्य ।
व्यभिचारी को छोड़कर स्वजन बहारे नित्य ।।

काम वासना शत्रु सम वैरी सकल समाज ।
जो इनसे उन्मुक्त हो पावे जग का ताज ।।

नेह लुटाना विष हुआ जाति पाति के देश ।
आरक्षण के नाम पर नेता बदले भेष ।।

--- नवीन मणि त्रिपाठी

Views: 575

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on September 13, 2016 at 2:11pm

वाह ! आज की सरकारों पर सुंदर दोहे रचे हैं.बहुत-बहुत बधाई. बाकी आदरणीय डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी ने कह ही दिया है.सादर.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 11, 2016 at 4:02pm

आ० नवीन जी

बलात्कार पर कर रहे मोदी बिल को पेश-------- मात्रा की दृष्टि से बलत्कार और बलात्कार की मात्रा एक ही है किन्तु बलात्कार करने से दोहे की गेयता बाधित होती है . सुकवि होने के लिए यह छोटी छोटी बाते भी महत्वपूर्ण हैं . मसलन - तुक देखिये --- पेश -केस , हैरान-शैतान ,कृत्य -नित्य,  देश -भेष --- ये तुक निम्न कोटि के हैं  उच्च कोटि के तुक ऐसे होते - पेश -वेश , हैरान -वीरान , कृत्य -भृत्य , देश- वेश -----दोहे का कथ्य सुन्दर है . आदरणीय

Comment by Samar kabeer on September 11, 2016 at 3:55pm
जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,सभी दोहे अच्छे हुए हैं,दिल से बधाई स्वीकार करें ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 11, 2016 at 3:31pm

आदरणीय नवीन भाई , वर्तमान पर कहे आपके सभी दोहे बहुत अच्छे हुये हैं , हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on September 10, 2016 at 3:40pm
विशेष आभार आ0 बृजेश जी ।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 10, 2016 at 10:35am

उत्तम सार्थक दोहे 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service