For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

 “बच्चों  की बहुत याद आएगी बेटी  इस बार मिंटू तो  बड़ा भी हो गया है और समझदार भी बहुत अच्छी अच्छी बातें करता है दस दिन कैसे कटे पता ही नहीं चला| बहुत कम छुट्टी लेकर आते  हो बेटा” नाश्ता खत्म करके प्लेट बहू की तरफ बढाते हुए मिंटू को प्यार से दुलारते हुए  देशराज ने पास बैठे अपने बेटे चन्दन से कहा |

 “ज्यादा छुट्टी कहाँ मिलती है पापा  मिंटू के स्कूल की भी समस्या है और फिर खुशबू की शादी में भी तो आना है फिर छुट्टी लेनी पड़ेगी” चन्दन ने कहा |

“हाँ बेटा वो तो है” कहकर पापा चन्दन की आँखों में देखने लगे  इन दिनों के दौरान  ऐसा कई बार हुआ की बातचीत करते करते जैसे ही पिता बेटे की आँखों में देखने लगते तो बेटा किसी न किसी बहाने से उठकर चल देता और पिता शून्य में ताकते रह जाते |  

“पापा क्या बात है आप कुछ कहना चाहते हैं? कहिये क्या कहना है”?

“हाँ बेटा, एक बात कई दिनों से कहना चाह रहा था दरअसल तुम्हारी छोटी बहन खुशबू की शादी के खर्चे को लेकर बात करनी थी बहुत खींच तान करके भी कुछ पैसे कम पड़ रहे हैं वैसे वो लोग अच्छे हैं मांग तो उनकी कोई नहीं है फिर भी उनकी हैसियत को देखते हुए अच्छी शादी तो हमें करनी ही पड़ेगी अपने पास इतने पैसे हों कि  अचानक जरूरत पड़ आये तो बेइज्जती ना  हो तो ...मैं..मैं  चाहता था की कुछ पैसों का इंतजाम यदि तुम कर सको तो ...”

कुछ देर की चुप्पी के बाद... “देखो पापा मैंने आपको ये पहले भी कहा था कि हमारे पास  अभी इतनी बचत नहीं है मुश्किल से गुजारा होता है फिर हवाई जहाज से हर साल यहाँ छुट्टी आने जाने में ही कितना खर्च हो जाता है ऊपर से मिंटू की पढ़ाई का खर्च छोटी बेटी का खर्च बस आप भी ना ...फ़ालतू की चिंता करते हो जब लड़के वाले कुछ मांग नहीं रहे तो जितना है उसमे से ही सिंपल शादी करदो”कह कर चन्दन फोन में व्यस्त हो गया |

“दादा जी क्या शादी में बहुत सारे पैसे लगते हैं ?मिंटू ने पूछा |

“हाँ बेटा लगते तो हैं” दादा ने अपने पनीली आँखों को छुपाते हुए धीरे से कहा |

इतने में मिंटू  झटके से उठा और अंदर की तरफ भागा जब तक कोई कुछ समझ पाता मिंटू अपने दोनों हाथों में अपनी गुल्लक पकडे हुए दौड़ता हुआ आया और उसे दादा के सामने टेबिल पर फोड़ दिया सब सिक्के खनखनाते हुए दादा के सामने कुछ गोदी में बिखर गए|

“ये लो दादा जी बुआ की शादी के लिए जितने पैसे आपको चाहिए सारे ले लो | पापा तो पैसे बचाते ही नहीं हैं मम्मी भी कभी-कभी यही कहती हैं और अब एक बड़ी सी नई  गुल्लक और लाऊँगा उसमे अपनी छोटी बहन पिंकी की शादी के लिए खूब सारे पैसे इकट्ठे  करूँगा  ताकि बड़ा होने पर मुझसे यदि पापा माँगें तो मैं मना न कर सकूँ”

मौलिक एवं अप्रकाशित  

Views: 901

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 21, 2016 at 6:33pm

विनय कुमार जी ,आपको लघु कथा पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हो गया दिल से आभारी हूँ 

Comment by विनय कुमार on November 21, 2016 at 6:15pm

वाह, बहुत प्यारी रचना है आ राजेश कुमारीजी, मन को छू गयी| बहुत बहुत बधाई आपको इस रचना के लिए


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 21, 2016 at 5:44pm

आद० सुरेन्द्र भैया मेरी इस लघु कथा पर आपकी उपस्थिति और सराहना दोनों की हृदय से आभारी हूँ अपने विचारों से इस लघु कथा के मर्म का अनुमोदन किया इसके लिया अतिशय आभार |

Comment by नाथ सोनांचली on November 21, 2016 at 2:59pm
बदलते समाज को प्रतिविम्बित करती यह कहानी कई बातों को सोचने पर मजबूर करती है। निसंदेह हमारा समाज को ब्च्व्हो के सामने एक आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए, आदरणीया राजेश कुमारी जी आपकी कहानी की मूल भावना अत्यंत उत्तम। आपको मेरी हार्दिक बधाई और शुभकामना

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 14, 2016 at 1:31pm

प्रिय प्रतिभा जी मेरी इस लघु कथा पर मर्म की गहराई को छूते हुए आप जैसी कहानीकार की सार्थक प्रतिक्रिया आई मेरा लिखना सफल हुआ दिल से बहुत बहुत आभारी हूँ |

Comment by pratibha pande on November 14, 2016 at 11:59am

  बच्चे सब हमें ही देख कर सीखते हैं  और समय समय पर हमारे आगे आईना भी रख देते हैं .....आज के समय में   कच्ची पड़ती जा रही रिश्तों की डोर पर एक सार्थक और बहुत प्रभावशाली रचना आई है आपकी कलम से ....हार्दिक बधाई प्रेषित है आदरणीया राजेश जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 12, 2016 at 8:21pm

आद०  indravidyavachaspatitiwari जी ,लघु कथा के मर्म तक पँहुचकर दी गई इस प्रतिक्रिया हेतु दिल से शुक्रगुजार हूँ |बहुत बहुत आभार आपका |

Comment by indravidyavachaspatitiwari on November 12, 2016 at 7:42pm

्गुल्लक कहानी से यह पता चलता है कि बाप बेटे में कैसी कशमकश की स्थिति चल रही है तभी पोता कहता है कि मैं अपने पिता को कमी नहीं महसूसने दूंगा। वाह कहानी ने मन को मोह लिया ।सधन्यवाद ।ढेरों बधाईयां।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 11, 2016 at 7:38pm

आद० समर भाई जी,आपको ये लघु कथा पसंद आई मेरा लेखन कर्म सार्थक हो गया आपकी प्रतिक्रिया से अभिभूत हूँ |

Comment by Samar kabeer on November 10, 2016 at 9:13pm
बहना राजेश कुमारी जी आदाब,वाह क्या ही अच्छी लघुकथा लिखी है आपने,अच्छा संदेश दे रही है,और फिर आपके क़लम के जादू का तड़का इसे और बहतरीन बना गया है,ढेरों बधाई स्वीकार करें इस प्रस्तुति पर ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"आदरणीय रामबली जी बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति हुई है । हार्दिक बधाई सर"
2 hours ago
Admin posted discussions
5 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"रिश्तों की महत्ता और उनकी मुलामियत पर सुन्दर दोहे प्रस्तुत हुए हैं, आदरणीय सुशील सरना…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, बहुत खूब, बहुत खूब ! सार्थक दोहे हुए हैं, जिनका शाब्दिक विन्यास दोहों के…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय सुशील सरना जी, प्रस्तुति पर आने और मेरा उत्साहवर्द्धन करने के लिए आपका आभारी…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय भाई रामबली गुप्ता जी, आपसे दूरभाष के माध्यम से हुई बातचीत से मन बहुत प्रसन्न हुआ था।…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आदरणीय समर साहेब,  इन कुछेक वर्षों में बहुत कुछ बदल गया है। प्रत्येक शरीर की अपनी सीमाएँ होती…"
17 hours ago
Samar kabeer commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"भाई रामबली गुप्ता जी आदाब, बहुत अच्छे कुण्डलिया छंद लिखे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।"
23 hours ago
AMAN SINHA posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . विविध

दोहा पंचक. . . विविधदेख उजाला भोर का, डर कर भागी रात । कहीं उजागर रात की, हो ना जाए बात ।।गुलदानों…See More
yesterday
रामबली गुप्ता posted a blog post

कुंडलिया छंद

सामाजिक संदर्भ हों, कुछ हों लोकाचार। लेखन को इनके बिना, मिले नहीं आधार।। मिले नहीं आधार, सत्य के…See More
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service