For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शराफत रास दुनिया को कहां आती है कहिए भी-ग़ज़ल

1222 1222 1222 1222

वो दिन बेहतर थे जो गुजरे मेरे आवारगी में ही
शराफ़त रास दुनिया को कहाँ आती है कहिये भी

जला डाले सभी सपने ये दुनिया तो सितमगर है
कहाँ पहले कभी बिखरी थी मन पे रात की स्याही

न अब मासूमियत बाक़ी न अब बेफ़िक्री का मौसम
सहर आते थमा देती पिटारी जिम्मेदारी की

न जाने ढूँढता है क्या किधर को जा रहा है मन
भला क्यूँ रास आती ही नहीं दुनिया की ये क्यारी

गज़ब इंसानियत बदली फ़िदा है बस दिखावे पर
नज़र हर आंकती कीमत हुआ हर शख्स व्यापारी

मौलिक अप्रकाशित

Views: 946

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 5, 2017 at 8:39am
आदरणीय गोपाल जी सर बहुत बहुत आभार और सादर प्रणाम
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 5, 2017 at 8:38am
आदरणीय मोहम्मद आरिफ साहब बहुत बहुत आभार
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 5, 2017 at 8:37am
आदरणीय मिथिलेश सर, जिम्मेदारी की मात्रा गिराने के प्रति मैं संशय ग्रस्त हूँ, लेकिन एक बात ज़रूर है कि इसे मैं लय में पढ़ पा रहा हूँ।।
Comment by Mahendra Kumar on January 4, 2017 at 10:37pm
आदरणीय पंकज जी, बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने। मेरी तरफ से बहुत-बहुत बधाई। सादर।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 4, 2017 at 9:58pm
वाह बहुत ही शानदार
Comment by Samar kabeer on January 4, 2017 at 9:09pm
अज़ीज़म पंकज कुमार मिश्रा आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।
Comment by Sushil Sarna on January 4, 2017 at 8:38pm

गज़ब इंसानियत बदली फ़िदा है बस दिखावे पर
नज़र हर आंकती कीमत हुआ हर शख्स व्यापारी

वाह आदरणीय क्या बात है ... इस खूबसूरत अहसासों की ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 4, 2017 at 8:27pm

गैर मुरद्दफ़ बढ़िया गजल हुयी है .

Comment by Mohammed Arif on January 4, 2017 at 5:11pm
आदरणीय पंकज कुमारजी, वर्तमान जीवन के चरित्र का पर्दाफाश करती ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद क़ुबूल करें ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 4, 2017 at 3:50pm

आदरणीय पंकज जी, क्षमा कीजियेगा मेरा प्रश्न गलत था. सही प्रश्न पुनः .... क्या इस बह्र में जिम्मेदारी शब्द फिट बैठेगा. क्या जिम्मेदारी में 'मे' की मात्रा गिराई जा सकती है?

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service