For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल क्या गिला है रुक्मिणी से

2122 2122
तुम मिली थी सादगी से ।
याद है चेहरा तभी से ।।

जिक्र आया फिर उसी का ।
जब गया उसकी गली से ।।

बादलों का यूं घुमड़ना ।
है जमीं की तिश्नगी से ।।

यूं मुकद्दर आजमाइश ।
कर गई फ़ितरत ख़ुशी से ।।

गीत भंवरा गुनगुनाया ।
आ गई खुशबू कली से ।।

मैकशों का क्या भरोसा ।
वास्ता बस मैकशी से ।।

सिर्फ राधा ढ़ूढ़ते हो ।
क्या गिला है रुक्मिणी से ।।

जोड़ता है रोज मकसद ।
आदमी को आदमी से ।।

ख्वाब यूं टूटे न मेरा ।
डर गया हूँ रोशनी से ।।

वह हवा की बेरुखी थी ।
क्यों शिकायत ओढ़नी से ।।

चुन लिया उल्फ़त को मैंने ।
इक तुम्हारी पेशगी से ।।

लौट आया है तबस्सुम ।
फिर तेरी दरिया दिली से ।।

नवीन मणि त्रिपाठी
अप्रकाशित मौलिक

Views: 740

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naveen Mani Tripathi on February 5, 2017 at 9:50am
आदरणीय जयनित कुमार मेहता साहब सादर आभार
Comment by Naveen Mani Tripathi on February 5, 2017 at 9:49am
आदरणीय सौरभ पाण्डेय सर सादर आभार के साथ नमन ।
Comment by जयनित कुमार मेहता on February 4, 2017 at 11:41pm
आदरणीय नवीन जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल प्रस्तुत की है आपने।

जोड़ता है रोज मकसद ।
आदमी को आदमी से ।।...सच्चा शेर!

लौट आया है तबस्सुम ।
फिर तेरी दरिया दिली से ।।...क्या बात है!बहुत खूब।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 4, 2017 at 11:24pm

ग़ज़ब के भावोद्गार हैं आदरणीय नवीन जी ! हृदयतल से बधाइयाँ ! 

इन दो शेरों के माध्य्म से आपने तो कमाल ही कर दिया है, भाई -

ख्वाब यूं टूटे न मेरा ।
डर गया हूँ रोशनी से ।।

वह हवा की बेरुखी थी ।
क्यों शिकायत ओढ़नी से ।।

दाद दाद ! 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on February 3, 2017 at 8:13pm

आदरनीय नवीन भाई बहुत अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on February 1, 2017 at 10:24pm
आ0 कबीर सर सादर नमन । अभी सुधार करता हूँ
Comment by Samar kabeer on February 1, 2017 at 9:12pm
जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल है, दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

दूसरे शैर में शुतरगुर्बा दोष है,ऊला मिसरे में 'तुम्हारा'और सानी मिसरे में ',तेरी' ।

तीसरे शैर में क़ाफ़िया दोष है,"ज़मीं"शब्द में अनुस्वार है ।
छटे शैर के ऊला में 'मैकसों'को "मैकशों" और सानी में 'मैकसी'को "मैकशी" कर लें ।
आख़री शैर में 'तबस्सुम'पुल्लिंग है, इसलिये "लोट आया"कहना होगा ।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on February 1, 2017 at 8:59pm
वाह आदरणीय बहुत ही शानदार
Comment by Naveen Mani Tripathi on February 1, 2017 at 3:42pm
आ नरेंद्र सिंह चौहान साहब शुक्रिया
Comment by Naveen Mani Tripathi on February 1, 2017 at 3:41pm
आ0 गुरु प्रीत साहब तहेदिल से शुक्रिया ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हार्दिक स्वागत मुहतरम जनाब दयाराम मेठानी साहिब। विषयांतर्गत बढ़िया उम्दा और भावपूर्ण प्रेरक रचना।…"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
" जय/पराजय कालेज के वार्षिकोत्सव के अवसर पर अनेक खेलकूद प्रतियोगिताओं एवं साहित्यिक…"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"हाइमन कमीशन (लघुकथा) : रात का समय था। हर रोज़ की तरह प्रतिज्ञा अपने कमरे की एक दीवार के…"
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आदरणीय विभारानी श्रीवास्तव जी। विषयांतर्गत बढ़िया समसामयिक रचना।"
3 hours ago
vibha rani shrivastava replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
""ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123विषय : जय/पराजय आषाढ़ का एक दिन “बुधौल लाने के…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"आदाब। हार्दिक स्वागत आपकी रचना का। प्रदत्त विषयांतर्गत बेहद भावपूर्ण और विचारोत्तेजक कथानक व कथ्य…"
10 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सादर प्रणाम, आदरणीय ।"
22 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सुन, ससुराल में किसी से दब के रहने की कोई ज़रूरत नहीं है। अरे भाई, हमने कोई फ्री में सादी थोड़ी की…"
23 hours ago
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service