For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पावन हो …….


सुना था
मतलब के लिए
जमीनों और घरों के
बंटवारे हो जाते हैं
इस धन लोलुप दुनिया में
जीते जी
जिन्दा रिश्तों के
बंटवारे हो जाते हैं
अपने स्वार्थ के लिए
इंसान के जहाँ में
इंसानों के बंटवारे हो जाते हैं
मगर ये क्या
आज अखबार के
एक कालम ने
दिल को द्रवित कर दिया
अपने को श्रवण कुमार
साबित करने के लिए
अपने मृत जन्म दाता को
श्रद्धान्जली देने के लिए
अखबार में अलग अलग विज्ञापन दे दिये
जो श्रवण कुमारों के दिल में
अपने जन्मदाता के प्रति श्रद्धा को
संकुचित दायरे में ला रहे थे
माँ-बाप अपनी औलाद के
लिए न केवल
जिन्दा रहने तक जीते हैं
बल्कि मरने के बाद भी
वो छाया बन के
उनके साथ रहते हैं
इससे मन में ये प्रश्न
बार बार हृदय को
व्यथित करता है कि
हम क्यूँ स्वयं को
भ्रम में रखते हैं
हमारी ये दिखावटी सोच
शायद हमें या संसार को
संतुष्ट कर सकती है
लेकिन
क्या हम अपनी अंतरात्मा को
संतुष्ट कर सकते है
प्राणहीन काया पे गिरने वाले आंसू
दुनिया के लिए नहीं होते
दिल के ममत्व वाले
सागर के अंश होते है
हम जो कुछ खोते हैं
उसका कोई मोल नहीं होता
उसका इस जहां में
पुनर्भरण संभव नहीं होता
शायद इसीलिये ये आंसू
दिखावटी नहीं होता
कितना अच्छा हो
अगर हमारी श्रद्धान्जली का भाव भी
अहं से लिप्त न होकर
दिल से निकले
आंसू की तरह

पावन हो 

सुशील सरना

मौलिक एवम अप्रकाशित 

Views: 469

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on March 10, 2017 at 2:14pm

आ.    गिरिराज भंडारी  जी प्रस्तुति के भावों को अपने आत्मीय समर्थन से सृजन का मान बढाने का दिल से आभार। 

Comment by Sushil Sarna on March 10, 2017 at 2:13pm

आ.    Mahendra Kumar    जी प्रस्तुति के भावों को अपने आत्मीय समर्थन से सृजन का मान बढाने का दिल से आभार। 

Comment by Sushil Sarna on March 10, 2017 at 2:13pm

आदरणीय समर कबीर जी प्रस्तुति को अपनी मधुर प्रतिक्रिया से अलंकृत करने का हार्दिक आभार। अस्वस्थता के चलते आपकी कमी खल रही थी।  मंच पर आपकी पुनः सक्रियता से आत्मा को तस्सली हुई।  खुदा आपको अच्छी सेहत बख़्शे। 

Comment by Sushil Sarna on March 10, 2017 at 2:09pm

आदरणीय   सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप'    जी सृजन में निहित भावों को अपना आत्मीय मान देने का दिल से आभार। आदरणीय काफी समय से नेट प्रॉब्लम हो  रही है इसलिए मैं पूरी तरह से सक्रिय नहीं हो पा रहा हूँ। आपके स्नेह के आगे में नत मस्तक हूँ। आपकी ही नहीं बल्कि हर रचना पर जाना मेरा फ़र्ज़ है जो पूरा नहीं हो पा रहा। मैं प्रयत्न करूंगा कि यथासंभव आपकी शिकायत दूर कर सकूं।  सादर   .... 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on March 9, 2017 at 9:42am

आदरणीय सुशील भाई , अच्छा संदेश देती भाव पूर्ण कविता  की रचना हुई है , हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें ।

Comment by Mahendra Kumar on March 8, 2017 at 9:27pm
आदरणीय सुशील सरना जी, बहुत ख़ूब कविता लिखी है आपने। हार्दिक बधाई प्रेषित है। सादर।
Comment by Samar kabeer on March 8, 2017 at 5:45pm
जनाब सुशील सरण जी आदाब,बहुत ही सुंदर भावपूर्ण कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीजर करें ।
Comment by नाथ सोनांचली on March 8, 2017 at 4:28pm
आदरणीय सुशील सरना जी सादर अभिवादन। आपकी लेखन शैली में जो एक बिम्ब बनता है, उसका मैं कायल हूँ, क्या बेहतरीन ढंग से भाव सम्प्रेषण किया हैं आपने। स्वार्थलोलुपता में हर कोई अँधा है।बहुत खूब। हार्दिक बधाई प्रेषित है।


आपसे कर जोर एक निवेदन करूँगा की मुझ जैसे नये लोगो की रचनायों पँर अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया देकर आप उत्साह बढ़ाएंगे, तो हमे भी लिखने की प्रेरणा मिलेगी। सादर
Comment by Sushil Sarna on March 8, 2017 at 2:40pm

आ.   Mohammed Arif    जी प्रस्तुति के भावों को अपने आत्मीय समर्थन से सृजन का मान बढाने का दिल से आभार। 

Comment by Mohammed Arif on March 7, 2017 at 10:44pm
आदरणीय सुशील सरना जी आदाब,आजकल हम दिन प्रतिदिन स्वार्थलोलुपता में घिरते जा रहे हैं,झूठे आँसू बहा रहे हैं , अपनों से दूर होते जा रहे हैं, संवेदना मरती जा रही है । बस पवित्रता बची है तो सिर्फ़ आँसुओं में । बहुत ख़ूब कल्पना की है आपने । हार्दिक बधाई स्वीकार करें इस प्रस्तुति पर ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय धर्मेन्द्र भाई, आपसे एक अरसे बाद संवाद की दशा बन रही है. इसकी अपार खुशी तो है ही, आपके…"
4 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
19 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें सब की माँ को जो मैंने माँ…"
20 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी"
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service