Comment
आदाब भाई जी , जी लिखती रहूंगी पर मन में है जो लिखूं सार्थक हो ,और सही हो , अभी कहाँ हूँ इस बात का एहसास है भाई जी मुझे भी | जहाँ दिक्कत आती है , वहां उलझ जाती हूँ | सच कहा आपने खुद के सृजन पर शंका होती है और डर लगता है |
आदरणीय रवि सर ,नमस्कार जी सर इस कथा पर पुनः प्रयास करुँगी , आपके मार्गदर्शन के लिए दिल से आभारी हूँ |इस तरह का मार्गदर्शन सिर्फ और सिर्फ ओ बी ओ में ही मिलता है वरना यह कह दिया जाता है गलतियाँ है और कहने वाला फुर्र्र्रर्र्र्रर्र्र | ओ बी ओ जिंदाबाद |
आदाब आदरणीय समर भाई जी | जो कमी रही इस कथा में उस बिंदु को इंगित कर अवगत कराने हेतु सादर धन्यवाद | जब यह कथा लिखी थी तब कुछ खटक तो रहा था पर अपनी गलती नहीं समझ आ रही थी , वैसे डरते डरते ही पोस्ट की है , मुझे लग रहा था रिजेक्ट हो जाएगी , पर जब पटल पर यह कथा देखी तो विश्वास था इन कमजोरियों को आप सब मुझे बताएँगे , और देखिये न हुआ भी यही , आप ने , जनाब मोहम्मद आरिफ साहब ने और आदरणीय रवि सर भैया ने अपनी सूक्ष्म दृष्टि से मुझे इससे अवगत भी कराया और दिशा भी दिखाई | सादर धन्यवाद आप तीनों को |
आदरणीय कल्पना भट्ट जी, प्रेषित लघुकथा बहुत जल्दबाजी में लिखी गई मालूम होती है । विमल के बॉस का दामाद होने के कथ्य ने लघुकथा को काफी कमजोर बना दिया । प्राइवेट सैक्टर में प्रबंधक लोग बहुत कूटनीति से काम लेते हैं, चूंकि विमल बॉस का दामाद था तो उसे बॉस वैसे भी भरमा लेगा और पदोन्नति का झुनझुना सौरव के हिस्से में आएगा - इस तथ्य को आधार बनाकर लघुकथा को लिखना चाहिए था जिससे विजेता शीर्षक भी अच्छे से परिभाषित होता और विजेता शब्द में छिपा तीक्ष्ण व्यंग्य भी अच्छे से उभर का आता । टंकण त्रुटियों की ओर जनाब मोहम्द आरिफ साहिब बता चुके हैं, कसावट के बारे में जनाब समर कबीर जी से मेरी राय उल्ट है । प्रस्तुत लघुकथा में कसावट की कोई कम नहीं लग रही बल्िक मुझे तो लग रहा है कि कसावट के चक्कर में आदरणीय कल्पना जी ने लघुकथा का कुछ गला सा घोंट दिया है जिस वजह से दोनों मित्रों के बीच के अलगाव जिस वजह से चर्चा ने तूल पकड़ा को लिखा नहीं गया । सादर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online