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तरही ग़ज़ल - ये ग़म कहाँ कहाँ ये मसर्रत कहाँ कहाँ " ( गिरिराज भंडारी )

221    2121     1221     212

नफरत कहाँ कहाँ है मुहब्बत कहाँ कहाँ

मैं जानता हूँ होगी बग़ावत कहाँ कहाँ

 

गर है यक़ीं तो बात मेरी सुन के मान लें

लिखता रहूँगा मैं ये इबारत कहाँ कहाँ

 

धो लीजिये न शक़्ल मुआफ़ी के आब से  

मुँह को छिपाये घूमेंगे हज़रत कहाँ कहाँ

 

कल रेगज़ार आशियाँ, अब दश्त में क़याम

ले जायेगी मुझे मेरी फित्रत कहाँ कहाँ 

 

कर दफ़्न आ गया हूँ शराफत मैं आज ही

सहता मैं शराफत की नदामत कहाँ कहाँ

 

दानिशवराने कौम की बातें न पूछिये

जुल्मत कदे में ढूँढे हैं जुल्मत कहाँ कहाँ

 

आखें खुली जो रखते कभी पूछते नहीं

''ये ग़म कहाँ कहाँ ये मसर्रत कहाँ कहाँ "

**********************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

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Comment by Dr Ashutosh Mishra on September 2, 2017 at 8:46pm
आदरणीय भाईसाब बहुत ही उम्दा ग़ज़ल है इस रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर
Comment by SALIM RAZA REWA on September 2, 2017 at 1:38pm

आदरणीय गिरिराज  जी ,
बेहतरीन ग़ज़ल हुई है. दाद के साथ मुबारकबाद कबूल फरमायें।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 2, 2017 at 12:09pm
आ. भाई गिरिराज जी, उम्दा गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।
Comment by Mohammed Arif on September 2, 2017 at 7:11am
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी आदाब, लाजवाब ग़ज़ल । हर शे'र माकूल । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए ।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on September 1, 2017 at 10:53pm
वाह वाह आदरणीय बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई..सादर
Comment by Samar kabeer on September 1, 2017 at 3:38pm
जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 1, 2017 at 12:39pm

आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , गज़ल की साराहना के लिये हार्दिक आभार आपका ।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 1, 2017 at 11:06am

आहा अनुज बहुत ही बेहतरीन  गजल और लाजवाब गिरह  का शेर ---बधाई आप्को . 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 31, 2017 at 9:50am

आदरणीय सुरेन्द्र भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया आपका ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 31, 2017 at 9:50am

आदरनीय अजय भाई , आभार किस बात ? आभार तो मुझे पकट करना है , आपकी गज़ल पर उपस्थिति के लिये । आपका हार्दिक आभार

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