For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

*धुआँ (सरसी छःन्द)*

आसमान में धुआँ धुआँ है, हुए सभी बेहाल |
व्याकुलता बढ़ती जाती है, जीना हुआ मुहाल ||

काली धुंध सड़क पे छायी, मुश्किल चलनी राह |
नर नारी सबके ही मुख से, निकल रही है आह ||

अस्त व्यस्त सारा जन जीवन, सुनता कौन पुकार |
आपस में कर खींचातानी,बढ़ा रहे तकरार ||

जिम्मेदारी भूल गए हैं, सभी बजाते गाल |
दिल के भीतर कालापन है, बिगड़ गयी है चाल ||

धुँधलायी नित बढ़ती जाती,उठता रोज सवाल |
फिक्र नहीं है यहाँ किसी को, मन में यहीं मलाल ||

आज प्रदूषण की चक्की में, पिसते हैं इंसान |
घुट घुट कर मरते जाते हैं, बालक वृद्ध जवान ll

धुँधली छाया मिट जाएगी, करें सभी मिल काम l
घर घर में चेतना जगाएं, दें अच्छा पैगाम ||

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 688

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on November 15, 2017 at 5:09pm
जनाब डॉ.छोटेलल सिंह जी आदाब,बहुत उम्दा सरसी छन्द रचे आपने ,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
पहले छन्द के पहले पद में 'बेहाल'और 'मुहाल'की तुकान्तता सही नहीं है,देखियेगा ।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 15, 2017 at 3:54pm
वाह आदरणीय बहुत उम्दा रचना..बधाई
Comment by नाथ सोनांचली on November 15, 2017 at 1:53pm
आद0 डॉ भैया छोटेलाल सिंह जी सादर अभिवादन, समसामयिक विषय पर सरसी छःन्द में बढ़िया प्रस्तुति, बधाई स्वीकार करें। सादर
Comment by Sushil Sarna on November 15, 2017 at 1:41pm

वाह आदरणीय डॉ छोटेलाल जी ज्वलंत समस्या पर सरसी छंद में सुंदर प्रस्तुति।  हार्दिक बधाई। 

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on November 15, 2017 at 11:25am
आदरणीय के पी मंडल जी आपने हमें उत्साहित किया, आपको तहे दिल से शुक्रिया
Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on November 15, 2017 at 11:22am
आदरणीय विजय निकोर जी आपने कविता को मान दिया आपका बहुत बहुत आभार
Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on November 15, 2017 at 11:21am
आदरणीय मोहम्मद आरिफ साहब आपके उत्साह वर्धन से मन प्रसन्न हुआ आपको दिल से साधुवाद
Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on November 15, 2017 at 11:17am
आदरणीय सलीम रजा साहब आपने उत्साह वर्धन किया सादर नमन
Comment by Mohammed Arif on November 15, 2017 at 10:59am
आदरणीय छोटे लाल जी आदाब, पर्यावरणीय चिंता को रेखांकित करते सामयिक सरसी छंद ।हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
Comment by vijay nikore on November 14, 2017 at 7:30pm

अच्छी रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय छोटेलाल सिहं जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
13 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
21 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
21 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने इस प्रस्तुति को वास्तव में आवश्यक समय दिया है. हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी आपकी प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. वैसे आपका गीत भावों से समृद्ध है.…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
Friday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
Friday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"संवेदनाहीन और क्रूरता का बखान भी कविता हो सकती है, पहली बार जाना !  औचित्य काव्य  / कविता…"
Friday
Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service