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रचना पर इतना समय देकर अपनी जिज्ञासा के साथ मेरी हौसला अफ़ज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब तेजवीर सिंह जी और जनाब समर कबीर साहिब। लघुकथा में कठिन शब्दावली संबंधित आपकी बात बिल्कुल सही व मानक अनुसार है। दरअसल इस रचना में पत्र-लेखिका एक साहित्यकार भी है, इसलिए मेरे विचार से उसके ख़त में कुछ वैसे शब्द शामिल होना स्वाभाविक है शिक्षित सहेली को लिखित में समझाने की प्रक्रिया में। सादर।
मेरे लिए यह बहुत ही समीक्षात्मक, ज्ञानवर्धक और प्रोत्साहक टिप्पणी है इस रचना पर। तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब।
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,बहुत अच्छी लघुकथा,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
जनाब तेजवीर साहिब से सहमत हूँ ।
हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी।उत्तम लघुकथा। मेरी एक जिज्ञासा है।चूंकि आप लघुकथा क्षेत्र के वरिष्ठ विशेषज्ञ हैं इसलिये सबसे पहले आप से इस विषय पर मार्ग दर्शन की उम्मीद रखता हूँ।मेरी सोच है कि लघुकथा लेखन में हमें क्लिष्ट शब्दावली के प्रयोग से परहेज़ करना चाहिये।इससे लघुकथा की रोचकता नष्ट प्रायः हो जाती है।अच्छे विषय और सुंदर संदेश के बावज़ूद लघुकथा बोझिल हो जाती है।यह मेरी व्यक्तिगत रॉय है।गुणीजनों का क्या मत है,कह नहीं सकता।आप अपनी रॉय अवश्य दें। सादर।
आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,
इस लघुकथा को दो भागों में देखना उचित होगा:-
(1) ऊपरी तौर पर यह कथा शुरू-शुरू में एक अबूझ पहेली-सी लगती है । फिर इसमें जिज्ञासा का संचार होता है । यही इस कथा की ताक़त है ।
(2) यह कथा फिर अचानक दूसरे मोड़ पर ले जाती है । ज्ञात होता है कि यह यौन शोषण की शिकार लड़की की कहानी है जो बचपन में ही अपने इर्द-गिर्द के मर्दों की हवस का शिकार होती है । इतने पर भी उसका जीवन नहीं थमता है । वह गणितीय जीवन को जीने और उसे सुलझाने के साथ-साथ पुन: जीतीं है । यह एक सकारात्मक दृष्टिकोण का संचार है । वह आयुषी को भी अपने पत्र में जीने की बात कहती है ।यह अच्छी सोच का प्रतिनिधित्व है ।
यह कथा किसी जासूसी उपन्यास की भाँति भी लगती है ।
हार्दिक-हार्दिक बधाई ।
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