221 2121 1221 212
गर बीज है जमीन में अंकुर भी आयेगा
,जागेगी ये अवाम तग़य्युर भी आयेगा
'ज़ह्नों में लाज़मी है तहय्युर भी आयेगा
बदलाव आयेगा तो तफ़क्कुर भी आयेगा
इंसानियत का आज कोई गीत गा रहा
,जब साज है नया तो नया सुर भी आयेगा
आना न मेरी जिन्दगी में तुम कभी सनम
,आए तो फुर्कतों का तसव्वुर भी आयेगा
'कमसिन रहे वो नाज़नीं यारो दुआ करो
आया अगर शबाब तकब्बुर भी आयेगा'
लिखदी ग़ज़ल समाज पे शाइर ने इक नई
,लाज़िम है कुछ दिलों में तनफ्फुर भी आयेगा
लो प्यार लिख दिया है समन्दर में डूब कर
,अब गालिबन कलम में तदब्बुर भी आयेगा
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तग़य्युर= बदलाव /चेंज , तहय्युर=आश्चर्य , तफ़क्कुर=चिंता
तसव्वुर=ख़याल , तकब्बुर=घमंड , तनफ्फुर=घ्रणा, तदब्बुर=बुद्धिमानी /गंभीरता दूरदर्शिता/संयम
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
वाह बहुतखूब ग़ज़ल कही आदरणीया
हार्दिक बधाई आदरणीय राजेश कुमारी जी। लाज़वाब गज़ल।
आना न मेरी जिन्दगी में तुम कभी सनम
,आए तो फुर्कतों का तसव्वुर भी आयेगा
'कमसिन रहे वो नाज़नीं यारो दुआ करो
आया अगर शबाब तकब्बुर भी आयेगा'
मुहतर्मा राजेश कुमारी साहिबा, मुश्किल नए काफियों की उम्दा ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें।
शेर3 में ऐब तकाबुले रदीफैंन हो गया ,उला मिसरा यूँ कर सकते हैं " इंसानियत का गीत कोई ला ज़बान पर "
शेर4 उला में लय बाधित हो रही है ,वो मिसरा यूँ करसकते हैं " आना न ज़िन्दगी में मेरी तुम कभी सनम" शेर5 में आपने क़ाफ़िया तकब्बुर लिया है जब कि सही शब्द " तकब्बर" है ,देखियेगा
आदरणीया राजेश कुमारी जी आदाब,
बहुत भी उम्दा ग़ज़ल । हर शे'र लाजवाब । नये काफिये से संवाद करके बहुत ही अच्छा लगा । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें ।
आद0 बहन राजेश कुमारी जी सादर अभिवादन। बढिया ग़ज़ल कही आपने।
'कमसिन रहे वो नाज़नीं यारो दुआ करो
आया अगर शबाब तकब्बुर भी आयेगा'
वाहवाह....
टाइप करते समय कामा सब गड़बड़ लग गए है, आप देख लीजिएगा। शैर दर शैर बधाई और मुबारकवाद कुबूल करें।सादर
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