For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सबक

देश खोखला होता जाता,आज यहाँ मक्कारों से
सदा कलंकित होता भारत, भीतर के गद्दारों से

लाज शर्म है नहीं किसी को, अपना नाम डुबाने में
मटियामेट करे इज्जत को, देखो आज जमाने में  

देश धरा के जो हैं दुश्मन, सबको नाच नचाते हैं
सारी अर्थव्यवस्था को वे, तितर वितर कर जाते हैं

अपनी मर्जी के हैं मालिक, अपना हुक्म चलाते हैं
लूट लूट कर भरे तिजोरी, फिर ये गुम हो जाते हैं

आज व्यवस्था जमीदोज है, हर जुर्मी हैवानों से
कैसे मुक्ति मिले भारत को, इन पाजी शैतानों से

बड़े कुकर्मी कातिल हैं ये, सबकुछ चट कर जाएंगे
अपनी माँ के दामन को ही, नोच नोचकर खाएंगे

नहीं सुरक्षित आज अस्मिता, दम्भी पहरेदारों से
अपनी डोली लुटती जाती, इन जयचंद कहारों से

ताल ठोकने वाले देखो, आज बहुत शर्मिन्दा हैं
मुख पर कालिख पोत रहे जो, बड़े शौक से जिन्दा हैं

देश हितैषी बनने वाले, कब तक गाल बजायेंगे
बीच सड़क पर खड़े कुकर्मी, कब वो मुँह की खाएंगे

आम आदमी जाग गया गर, इनको सबक सिखाएगा
गली गली औ चौराहे पर, जुल्मी मारा जाएगा lll

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 449

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on February 27, 2018 at 8:36pm
आदरणीय राणा जी आपने हमें मान दिया दिल से आभार
Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on February 27, 2018 at 8:35pm
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सादर अभिवादन आपके उत्साह वर्धन से लेखनी सफल हुई तहे दिल से शुक्रिया
Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on February 27, 2018 at 8:33pm
आदरणीय उस्मानी साहब आपने रचना को मान दिया उत्साह वर्धन किया दिल से साधुवाद
Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on February 27, 2018 at 8:30pm
आदरणीय समर साहब जी सादर नमन ,आपने अपना अनमोल समय मेरी रचना पर दिया मार्गदर्शन किया हम अभिभूत हैं ,दिल से आभार
Comment by नाथ सोनांचली on February 27, 2018 at 8:18pm

आद0 डॉ भैया सादर अभिवादन। बढिया ओज युक्त रचना पर मेरी बधाई स्वीकार कीजिये

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 27, 2018 at 11:34am

अच्छे भाव हार्दिक बधाई । भाई समर जी की बात का संज्ञान लें ।

Comment by Samar kabeer on February 26, 2018 at 3:43pm

जनाब डॉ.छोटेलल सिंह जी आदाब,देश के हालात को सामने रखते हुए,बहुत उम्दा नज़्म लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।

कुछ मिसरों में अनुस्वार लगाना भूल गए आप,देखियेग ।

9वीं पंक्ति में 'जुर्मी' शब्द सही नहीं ,कुछ और देखिये ।

'कैसे मुक्ति मिले भारत को'

इस चरण में लय भंग हो रही है,इसे यूँ कर सकते हैं:-

"कैसे मुक्ति मिले देश को"

'अपनी डोली लुटती जाती'

इस चरण में 'अपनी' का क्या औचित्य है, इसे यूँ कर सकते हैं:-

'नहीं सुरक्षित कोई डोली'

Comment by Samar kabeer on February 26, 2018 at 3:22pm

सतविन्द्र जी,ये ग़ज़ल नहीं है ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on February 25, 2018 at 1:50pm

सच का कड़वा चिट्ठा। बेहतरीन विचारोत्तेजक सृजन के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब डॉ. छोटे लाल सिंह जी।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 25, 2018 at 12:32pm

वाहः वाहः आ छोटे जी उम्दा गजल कही

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service